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उत्तराखंड के श्रीनगर गढ़वाल क्षेत्र में स्थित धारी देवी मंदिर बहुत सारे रहस्यों से जुड़ा हुआ है

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धारी देवी के इस मंदिर में देवी के मुख (सर) की पूजा की जाती है, जबकि धढ़ से नीचे के शरीर की पूजा रुद्रप्रयाग में स्थित कालीमठ मंदिर में की जाती है

मंदिर की मान्यता है की यहाँ देवी की मूर्ती दिन में तीन बार अपना रूप बदलती है, धारी देवी सुबह कन्या का, दिन में युवती का और शाम को एक बूढी महिला का रूप  धारण करती हैं

धारी देवी मंदिर में प्रवेश करने के लिए एक विशाल प्रवेश द्वार है, प्रवेश द्वार से मंदिर की दूरी 100-150 मीटर है

2013 की भयानक केदारनाथ आपदा से पहले मंदिर अलकनंदा के किनारे एक विशाल चट्टान पर स्थित था

16 जून 2013 की शाम को एक विद्युत परियोजना के संचालन के लिए मंदिर के मूल स्थान को स्थानांतरित किया गया, ऐसा करने के कुछ ही घंटों में केदारनाथ क्षेत्र में भयानक आपदा आई

उत्तराखंड के स्थानीय निवासियों की माने तो केदारनाथ आपदा धारी देवी के क्रोधित होने का परिणाम थी 

केदारनाथ आपदा के बाद सरकार द्वारा धारी देवी मंदिर को फिर से मूल स्थान पर स्थानांतरित करने का निर्णय लिया गया और देवी के लिए एक नए मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ

आपदा के 9 साल बाद मंदिर निर्माण कार्य पूरा हुआ और 24 जनवरी 2023 को देवी को नए मंदिर में स्थापित किया गया 

धारी देवी की पूरी कहानी और इतिहास जानने के लिए आगे पढ़ें..