देवभूमि उत्तराखंड अनेक रहस्यों से भरा हुआ है, यहाँ आपको बहुत सारे मंदिर और स्थान मिल जायेंगे जो अपने आप में बहुत रहस्यों को समेटे हुए हैं.
उत्तराखंड के टिहरी जिले में एक ऐसा ही पर्वत है, जहाँ आज भी परियों का वास है.
इस पर्वत का नाम खैंट पर्वत है और यह "परियों का देश" नाम से प्रसिद्द है.
उत्तराखंड में परियों को गढ़वाली बोली में "आंछरी" कहा जाता है। पूरे उत्तराखंड में इन परियों को "वन देवियों" के रूप में पूजा जाता है।
पौराणिक कहानियों के अनुसार टिहरी जिले के चोंदाणा गाँव में आशा रावत नामक एक जमीदार रहता था। आशा रावत की सात पत्नियाँ होने के बावजूद उसकी कोई संतान नहीं थी
आशा रावत ने थात गाँव के पंवार परिवार में आठवीं शादी की। इस शादी में बाद आशा रावत के घर में 9 कन्याओं का जन्म हुआ
माना जाता है कि इन कन्याओं के पास दैवीय शक्तियां थी। जन्म के मात्र 6 दिन में ही ये कन्याएं चलने लगी और केवल 6 वर्ष की आयु में अपने पिता से आभूषण और नए कपड़ों की मांग करने लगीं।
एक बार गाँव में एक धार्मिक आयोजन (मंडाण) किया जा रहा था। ये सभी 9 बहने भी सज धज कर वहां गयी और गढ़वाली जागरों की धुन पर नाचने लगी।
शाम हो गयी तो उन्होंने अपने घर की तरफ देखा वहां अँधेरा नजर आ रहा था जबकि Khait Parvat रंग बिरंगे फूलों से चमक रहा था. यह देखकर सभी 9 बहनें Khait Parvat की और चल दी।