यमुनोत्री धाम उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले में स्थित है। यह उत्तराखंड से स्थित चार महत्वपूर्ण धामों केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री में से एक है।
चार धाम यात्रा (Char Dham Yatra) करने वाले श्रद्धालु यमुनोत्री धाम (Yamunotri Yatra) से ही अपनी यात्रा शुरू करते हैं। चार धाम यात्रा (Char Dham Yatra 2024) 10 मई 2024 से शुरू होने वाली है, और जल्द ही यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन भी शुरू जायेंगे। बता दें बता दें कि चार धाम यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य है. आप ऑनलाइन और ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं.
Yamunotri Opening Date 2024: 10 मई 2024 को गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ के कपाट सभी भक्तों के लिए खुल जायेंगे और अंत में 12 मई को बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलेंगे.
यमुनोत्री धाम सामान्य जानकारी- Yamunotri Dham Basic Information
भौगोलिक जानकारी | विवरण |
राज्य | उत्तराखंड |
जिला | उत्तरकाशी |
निकटतम शहर | बन्दरपूँछ |
निकटतम हवाई अड्डा | जॉलीग्रांटहवाई अड्डा, देहरादून |
निकटतम रेलवे स्टेशन | देहरादून जंक्शन (172.9 किमी दूरी) |
आसपास के बड़े शहर | हरिद्वार (218.2 किमी) देहरादून (242.1 किमी) रुद्रप्रयाग (142.9 किमी) |
ऊँचाई | 3,293 मीटर |
निकटतम नदी | यमुना नदी |
सबसे अधिक भ्रमण | मई से नवंबर के बीच |
यमुनोत्री धाम का इतिहास- Yamunotri Dham History in Hindi
यमुनोत्री धाम (Yamunotri Temple) भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित है और हिमालय की पहाड़ियों में स्थित है। यह धाम यमुना नदी के तट पर स्थित है और यह उत्तराखंड के चार प्रसिद्द धामों में से एक है। यह धाम हिंदू धर्म के लोगों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है।
यमुनोत्री के धार्मिक महत्व के साथ-साथ, इस धाम का इतिहास (Yamunotri Temple History) भी बहुत रोचक है। इस धाम के बारे में पहली बार मान्यता के अनुसार, यमुना नदी का जन्म स्थान यहां है। इस मान्यता के अनुसार सप्तर्षि के वचनों पर यमुना देवी ने इस धाम में अपना वास स्थापित किया था।
यमुनोत्री धाम के इतिहास की जानकारी महाभारत में भी मिलती है। महाभारत में कई जगहों पर यमुना नदी का उल्लेख किया गया है और इसमें उल्लेख है कि यमुना देवी को विष्णु भगवान स्वयं अपने वाहन गरुड़ जी के साथ यमुनोत्री ले गए थे.
यमुनोत्री का आधुनिक इतिहास ब्रिटिश शासन के समय से शुरू हुआ था। यमुनोत्री धाम को 1839 में अंग्रेजों द्वारा खोजा गया था। यमुनोत्री धाम को ब्रिटिश शासन द्वारा एक प्रमुख धार्मिक स्थल के रूप में विकसित किया गया था। ब्रिटिश शासन के समय से यमुनोत्री धाम के पास एक आवास बना दिया गया था जो धार्मिक यात्रियों के लिए उपलब्ध था। यह आवास अब भी मौजूद है और यात्रियों के लिए आरामदायक कमरे प्रदान करता है।
यमुनोत्री धाम के सम्बन्ध में कुछ अन्य दिलचस्प तथ्य हैं। यमुनोत्री के पास एक झील है जिसे सप्तर्षि कुंड कहा जाता है। माना जाता है कि सप्तर्षि कुंड में सात ऋषियों ने तप किया था। धार्मिक मान्यता के अनुसार, यमुनोत्री धाम पर यात्रियों को यमुना देवी की पूजा करनी चाहिए।
यमुनोत्री धाम भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित होने के कारण यह धाम हिमालयी जीवन और दृश्यों के लिए भी जाना जाता है। यहां पर आप शानदार हिमालयी पर्वत दृश्यों के साथ-साथ शांति और सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव कर सकते हैं।
यमुनोत्री धाम हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। यह चार धामों में से एक है और चारों धामों की यात्रा का एक हिस्सा है। यह धाम यमुना नदी का उद्गम स्थल के रूप में जाना जाता है।
यमुनोत्री धाम का महत्व- Importance Of Yamunotri Dham
यमुनोत्री धाम के महत्व का प्रमुख कारण यह है कि यहां पर माँ यमुना की पूजा की जाती है। यमुना नदी हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण स्थान रखती है और इसे देवी का रूप माना जाता है। यमुनोत्री धाम यात्रा के दौरान यात्रियों को माँ यमुना की पूजा करनी चाहिए जो उन्हें स्वर्ग के द्वार तक ले जाने की मान्यता है।
इसके अलावा, यमुनोत्री धाम धार्मिक एवं आध्यात्मिक अनुभव का भी एक महत्वपूर्ण स्थान है। यहां पर स्थित मंदिर और अन्य आध्यात्मिक स्थल यात्रियों को हिंदू धर्म की विविध अंगों से अवगत कराते हैं। इससे यात्रियों को धार्मिक ज्ञान और उनके आंतरिक विकास में मदद मिलती है।
इसके अलावा, यमुनोत्री धाम उत्तराखंड की सुंदर प्रकृति में स्थित है। यहां पर यात्री गंगोत्री धाम के आसपास विशाल हिमालयी पर्वत श्रृंखला और हरे घाटों की सुंदर झीलों का भी आनंद ले सकते हैं। यहां पर जाने से यात्रियों को प्रकृति के साथ संयुक्त धार्मिक और आध्यात्मिक अनुभव होता है।
इस धाम का महत्व उत्तराखंड के पर्यटन विकास में भी है। यमुनोत्री धाम एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है जो देश और विदेश से आने वाले दर्शकों को खूबसूरत पर्यटन स्थल का एक अनूठा अनुभव प्रदान करता है। यहां पर पर्यटकों को रिलेक्स करने और धार्मिक अनुभव करने के लिए कई सुविधाएं मौजूद हैं।
यमुनोत्री धाम के अलावा, यहां पर कुछ नजदीकी पर्यटन स्थल भी हैं जैसे कि सप्तर्षि कुंड, दिव्य शिला, सायं कुंड और जानी चौरी जो दर्शकों को इस खूबसूरत स्थान के आसपास की सुंदर प्रकृति का अनुभव करने का अवसर देते हैं।
यमुनोत्री मंदिर का निर्माण- Yamunotri Dham Construction
यमुनोत्री मंदिर का निर्माण लगभग 300 साल पहले किया गया था। यमुनोत्री मंदिर के बारे में पौराणिक कथाओं में कोई विशेष उल्लेख नहीं है, लेकिन मंदिर के निर्माण का श्रेय ब्रह्मा को दिया जाता है।
इसके अलावा, उत्तराखंड के राजपूत राजा ने भी यमुनोत्री मंदिर का निर्माण कराया था। इस मंदिर का निर्माण पहली बार 19वीं सदी में हुआ था, जिसे बाद में बार-बार नवीनीकृत किया गया है। यह मंदिर अब उत्तराखंड सरकार द्वारा संभाला जाता है और पर्यटकों और भक्तों के लिए खुला है।
पुराणों में यमुनोत्री धाम का उल्लेख- Yamunotri Dham in Puran)
यमुनोत्री धाम का पुराणों में विस्तृत वर्णन किया गया है। यमुनोत्री धाम को उत्तराखंड के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है।
वेदों में भी यमुना नदी को बहुत पवित्र और महत्वपूर्ण माना गया है। वेदों में यमुना को ‘जमुना’ और ‘कालिंदी’ नामों से जाना जाता है। यमुना नदी के संबंध में महाभारत में भी कुछ उल्लेख मिलता है। महाभारत में यमुना को महत्वपूर्ण नदियों में से एक माना जाता है। इसके अलावा, स्कन्द पुराण, ब्रह्म पुराण और पद्म पुराण जैसे पुराणों में भी यमुना के महत्व का वर्णन किया गया है।
यमुनोत्री मंदिर को बनाने से पूर्व ही यहाँ एक महत्वपूर्ण स्थल था। पुराणों के अनुसार, यमुना नदी का उद्गम स्थल यमुनोत्री धाम है। इसी कारण यमुनोत्री धाम को मान्यताओं और धार्मिक त्यौहारों का महत्वपूर्ण स्थल माना जाता है।
यमुनोत्री मंदिर/धाम की वास्तुकला- Yamunotri Dham Structure
मंदिर के निर्माण में स्थानीय लकड़ी एवं संगमरमर का प्रयोग किया गया था। मंदिर की वास्तुकला में उत्तराखंड राज्य की स्थानीय विशेषताएं दिखाई देती हैं।
मंदिर को अभिषेक के लिए उपयोग में लाया जाने वाला संगमरमर का मंच मंदिर के बाहर स्थित स्नान कुंड से आता है। मंदिर के समीप एक छोटी सी गुफा भी है, जो पर्यटकों और तीर्थयात्रियों के लिए खुली होती है। यह गुफा यमुना जी की मूर्ति को समर्पित है।
यमुनोत्री मंदिर को सुंदर और प्राचीन वास्तुकला के दृष्टिकोण से देखा जाता है। मंदिर में चार मुख्य द्वार हैं। पहला अग्नि कुंड के सामने है जहाँ पूजा के दौरान अग्नि जलाया जाता है। मंदिर के अंदर यमुना जी के अभिषेक के लिए संगमरमर का एक छोटा सा मंच है जो मंदिर के बाहर स्थित स्नान कुंड से आता है। ऐसे ही दो अन्य मुख्य द्वार हैं।
यमुनोत्री मंदिर की स्थापत्य कला
यमुनोत्री मंदिर उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित है। यह मंदिर वैदिक काल से ही मौजूद है और यमुना नदी को याद करने के लिए बनाया गया था। मंदिर में यमुना और यमुनोत्री देवी की दो मुख्य मूर्तियां स्थापित की गई हैं।
यमुनोत्री मंदिर की स्थापत्य कला में मंदिर का स्थान महत्वपूर्ण स्थान रखता है। मंदिर एक पत्थर की चट्टान पर बनाया गया है जो यमुना नदी के ऊपर है। चट्टान के ऊपर बना यह मंदिर श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है।
मंदिर की संरचना त्रिकोणीय आकृति में है जिसे एक संगमरमर से बनाया गया है। मंदिर में लाल पत्थर का उपयोग भी किया गया है जो इसे और भी खूबसूरत बनाता है।
यमुनोत्री मंदिर के अंदर, यमुना जी की मूर्ति उपस्थित है। यह मूर्ति संगमरमर से बनी हुई है और दोनों हाथों में शंख और चक्र लिए हुए हैं।
यमुनोत्री की देवी की मूर्ति भी मंदिर के अंदर है जो स्थानीय लोगों के लिए बड़ा महत्व रखती है। इस मूर्ति को दस दिनों के लिए यमुना तल से नीचे उतारा जाता है और इसे अपने स्थान पर स्थापित किया जाता है।
यमुनोत्री मंदिर के बाहर और अंदर स्थापत्य कला का अद्भुत संगम है। यमुनोत्री मंदिर का निर्माण पहाड़ी स्थापत्य कला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है और इसके अलावा इसकी स्थानीय संस्कृति और परंपराओं में भी महत्वपूर्ण भूमिका है।
मंदिर के साथ-साथ, यमुनोत्री धाम के आसपास कुछ और धार्मिक स्थल भी हैं जैसे कि सप्तर्षि कुंड, दिव्य शिला, सुर्य कुंड और पूर्व यामुनोत्री जहां पूर्ववत हवन करने के लिए उपयोग किया जाता है।
इस तरह से, यमुनोत्री मंदिर उत्तराखंड के एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है जिसमें संस्कृति, स्थापत्य कला और धार्मिक विश्वासों का संगम होता है। यहां पर आने वाले लोग अपनी आत्मा को शुद्ध करने और भगवान की कृपा को प्राप्त करने के लिए पूजा-अर्चना करते हैं। इस स्थान पर स्थित शानदार पर्वतीय दृश्य, शांति और प्रकृति की खूबसूरती आपको भगवान के प्रति अधिक श्रद्धालु बना देती है।
यमुना नदी का उद्गम स्थल- Yamuna River Origin
यमुना नदी भारत की एक महत्वपूर्ण नदी है जो हिमालय से निकलती है। यमुना नदी का उद्गम उत्तराखंड राज्य में यमुनोत्री धाम के समीप बन्दरपूँछ नामक स्थान से होता है, और फिर दक्षिण-पश्चिमी दिशा में बहती है। इसके बाद यह उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, और राजस्थान में से गुजरती है।
यमुनोत्री धाम कैसे पहुंचे- How to reach Yamunotri Temple
यमुनोत्री धाम पहुंचने के लिए आपको सबसे पहले देहरादून या हरिद्वार जाना होगा। इन दोनों शहरों से यमुनोत्री तक दो रास्ते हैं।
पहला रास्ता देहरादून से होकर जाता है जहां आपको रास्ते में अनेक छोटे-छोटे शहर मिलेंगे। इस रास्ते पर आपको आसानी से बसें, टैक्सियों और कार उप्लब्ध हो जायेंगी।
दूसरा रास्ता जो हरिद्वार, ऋषिकेश से बद्रीनाथ जाता है आप इस रास्ते से भी यमुनोत्री धाम पहुँच सकते हैं। इस रास्ते पर आपको हरिद्वार या ऋषिकेश से बसें और टैक्सियां उपलब्ध हो जाएँगी।
यमुनोत्री तक पहुंचने के बाद, आपको खेड़ा बाबा मंदिर तक चलना होगा। यह मंदिर यमुनोत्री से लगभग 6 किलोमीटर दूर है। आप यहां से पैदल चलकर यमुनोत्री मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
यमुनोत्री धाम से गंगोत्री धाम यात्रा- Gangotri to Yamunotri
यमुनोत्री धाम से गंगोत्री धाम पहुंचने के लिए आपको यमुनोत्री से बस और टैक्सी से यात्रा करनी होगी। बस और टैक्सी सेरा बुग्याल और उत्तरकाशी जैसे शहरों से उपलब्ध होती हैं। फिर आप गंगोत्री के लिए टैक्सी या बस की सेवा का उपयोग कर सकते हैं। दोनों धाम दरबारों के बीच लगभग 110 किलोमीटर की दूरी है।
यमुनोत्री धाम जाने का सबसे अच्छा समय- Best Time To Visit Yamunotri Dham
यमुनोत्री और गंगोत्री धाम जाने का सबसे अच्छा समय मई-जून और सितम्बर से अक्टूबर का माना जाता है। इसी समय सबसे ज्यादा तीर्थयात्री इन दोनों धामों में आते हैं।
चार धाम यात्रा 2024 के लिए रजिस्ट्रेशन कैसे करें- Char Dham Yatra Registration 2024
उत्तराखंड सरकार ने चार धाम यात्रा 2024 (Char Dham Yatra 2024) के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया है। अब आप बिना रजिस्ट्रेशन के चार धाम यात्रा नहीं कर सकते हैं। आप यात्रा के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। online registration के लिए आप सरकार की ऑफिसियल वेबसाईट https://registrationandtouristcare.uk.gov.in/ पर जा कर रजिस्टर कर सकते हैं
चार धाम यात्रा 2024 महत्वपूर्ण तिथियाँ- Char Dham Yatra Opening And Closing Dates
Temple | Opening Dates | Closing Dates |
Gangotri | 10 May 2024 | – |
Yamunotri | 10 May 2024 | – |
Kedarnath | 10 May 2024 | – |
Badrinath | 12 May 2024 | – |
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FAQ
Q. यमुनोत्री धाम कहाँ स्थित हैं?
Ans-यमुनोत्री धाम उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले में स्थित है। यह गंगोत्री यमुनोत्री धाम यात्रा का एक महत्वपूर्ण धाम है जो हिंदू धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। यमुनोत्री धाम को यमुना नदी के किनारे स्थित माना जाता है और यहां प्राकृतिक सौंदर्य, तीर्थों, पौराणिक कथाओं और आध्यात्मिक उत्सवों का अनुभव किया जा सकता है।
Q. यमुनोत्री धाम में किसकी पूजा होती है ?
Ans- यमुनोत्री धाम में यमुना देवी की पूजा होती है। यह धाम हिंदू धर्म के तीन महत्वपूर्ण धामों में से एक है, जहां यमुना नदी की पूजा की जाती है। यमुना नदी को हिंदू धर्म में अत्यंत महत्त्व दिया जाता है, इसलिए यमुना देवी की पूजा यहां बहुत महत्वपूर्ण होती है।
Q. यमुनोत्री धाम की चढ़ाई कितनी किलोमीटर है?
Ans- यमुनोत्री धाम तक पहुँचने के लिए आपको लगभग 6 किलोमीटर की चढाई तय करनी होगी, इस अगर आप पैदल यात्रा नहीं करना चाहते हैं तो आपको सवारी के लिए यहाँ उचित मूल्यों पर घोड़े-खच्चर आसानी से उपलब्ध हो जायेंगे।
Q. यमुना नदी कहाँ से निकलती है?
Ans- यमुना नदी बन्दरपूँछ नमक स्थान से निकलती है, यह स्थान यमुनोत्री धाम के समीप ही स्थित है।
Q. यमुनोत्री धाम जाने का सही समय क्या है?
Ans- कपाट खुलने के बाद आप कभी भी यमुनोत्री धाम की यात्रा कर सकते हैं लेकिन सबसे अधिक श्रद्धालु मई-जून और सितम्बर-अक्टूबर के बीच यमुनोत्री आते हैं।
Q. गंगोत्री से यमुनोत्री जाने में कितना समय लगता है?
Ans- गंगोत्री से यमुनोत्री की दूरी बस या टैक्सी से तय करने में आपको 7 से 8 घंटे लग जायेंगे।
Q. देहरादून से यमुनोत्री कैसे जायें?
Ans- यमुनोत्री जाने के लिए देहरादून मार्ग सबसे आसान रहता है, देहरादून से आपको बस, टैक्सी या चार से यात्रा शुरू करनी होगी और फिर बरकोट होते हुए आप यमुनोत्री धाम पहुँच सकते हैं।
Q. यमुनोत्री धाम के कपाट 2024 में कब खुलेंगे?
Ans- 10 May 2024 को गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुल जायेंगे।