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Gangotri Temple Opening Date 2024: गंगोत्री मंदिर की सम्पूर्ण जानकारी

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Gangotri Yatra 2024: गंगोत्री धाम उत्तराखंड में स्थित चार प्रसिद्ध धामों में से एक है जो कि उत्तराखंड के उत्तरकाशी जनपद में स्थित है और गंगोत्री धाम में मां गंगा की पूजा की जाती है।

उत्तराखंड को देवताओं की भूमि माना जाता है और इसीलिए उत्तराखंड को देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है। उत्तराखंड में हमें बहुत सारे मंदिर देखने को मिलते हैं जिनका अपना अलग-अलग महत्व और इतिहास है। उत्तराखंड में स्थित सभी मंदिरों में से कुछ बहुत प्रसिद्ध हैं। उत्तराखंड के प्रसिद्ध मंदिरों में चार धाम कहे जाने वाले केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिर प्रमुख है।

Table of Contents

Gangotri Opening Date 2024- गंगोत्री धाम यात्रा 2024 कपाट कब खुलेंगे

चार धाम यात्रा (Char Dham Yatra) 10 मई 2024 से शुरू होने जा रही है, सबस पहले 10 मई को केदारनाथ धाम की कपाट सभी श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जायेंगे. गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट हर साल अक्षय तृतीया के दिन खोले जाते हैं. इस साल 10 मई को अक्षय तृतीया पड़ रही है, हालाँकि अभी गंगोत्री-यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने की तिथि घोषित नहीं हुई है. बद्रीनाथ धाम के कपाट 12 मई को सभी तीर्थयात्रियों के लिए खोल दिए जायेंगे.

बता दें कि यदि आप भी इस साल चार धाम यात्रा करने का प्लान कर रहे हैं तो इसके लिए रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य कर दिया गया है, बिना रजिस्ट्रेशन के आप चार धाम यात्रा (Char Dham Yatra Registration) नहीं कर सकते हैं. आप ऑनलाइन या ऑफलाइन किसी भी माध्यम से रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं.

इसे भी पढ़ें- ऐसे करें चार धाम यात्रा के लिए स्टेप बाय स्टेप आसानी से रजिस्ट्रेशन

गंगोत्री धाम का महत्व और पौराणिक कथा- Gangotri Temple Story in Hindi

हमारे देश में नदियों, पर्वत, पहाड़ों को देवी-देवताओं की तरह पूजा जाता है। इसके पीछे कई पौराणिक कथाएं और मान्यताएं हैं। ऐसी ही अनेक मान्यताएं और कथाएं गंगा नदी के बारे में भी है।

एक मान्यता के अनुसार प्राचीन काल में राजा भगीरथ ने वर्तमान गंगोत्री धाम वाले स्थान पर अपने पूर्वजों को उनके द्वारा किये गए पापों से मुक्ति दिलाने के लिए भगवान शिव की घोर तपस्या की। राजा भगीरथ चाहते थे कि माँ गंगा धरती पर आए और उनके पावन जल का प्रयोग करके वो अपने पूर्वजों को उनके पापो से मुक्त कर सकें।

भगवान शिव ने राजा भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न हो कर उनको दर्शन दिए और वचन दिया कि वे माँ गंगा को धरती पर लाने में राजा भगीरथ की सहायता करेंगे।

राजा भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर अन्ततः माँ गंगा ने धरती पर आने का फैसला किया। और माँ गंगा को धरती पर लाने के लिए भगवान शिव ने अपनी जटाओं का सहारा लिया और इस तरह से माँ गंगा ने वर्तमान गंगोत्री धाम के समीप धरती में प्रवेश किया।

अन्ततः राजा भगीरथ ने माँ गंगा के पवित्र जल से अपने पूर्वजों को पाप मुक्त किया। बता दे उत्तराखंड में गंगा नदी का उद्गम गंगोत्री धाम के समीप गोमुख नामक स्थान से होता है और उत्तराखंड में गंगा नदी को भागीरथी के नाम से जाना जाता है। जब भागीरथी नदी देवप्रयाग में अलकनंदा नदी से मिलती हैं तो वहां से आगे इस नदी को गंगा के नाम से जाना जाता है।

गंगोत्री धाम का इतिहास- Gangotri Temple History in Hindi

गंगोत्री धाम के इतिहास(Gangotri Temple History) को लेकर मान्यता चली आ रही है कि जिस स्थान पर माँ गंगा ने धरती पर प्रवेश किया वहां पर गंगा जल धारा की पूजा की जाने लगी। बहुत लंबे समय तक यहां पर सेमवाल पुजारियों द्वारा गंगा जल धारा की पूजा की जाती थी।

गंगा जल धारा के समीप स्थित भगीरथ शिला पर कुछ महीनों के लिए देवी-देवताओं की मूर्तियों को पास के गांव से लाकर रख दिया जाता था और जब सर्दियों का मौसम शुरू होता तो फिर से मूर्तियों को पास के गांव में ले जाया जाता था। उस समय से लोग यहां देवी दर्शन केलिए आते हैं।

लगभग 18वीं सदी में गढ़वाल के गोरखा सेनापति अमर सिंह थापा से सेमवाल पंडितो ने मंदिर निर्माण के लिए निवेदन किया। पुजारियों के निवेदन पर अमर सिंह थापा ने राजा भगीरथ के तपस्या वाले स्थान पर गंगोत्री मंदिर का निर्माण करवाया। आगे चलकर 20वीं सदी में जयपुर राजस्थान के राजा माधो सिंह द्वितीय ने गंगोत्री धाम की मरम्मत करवाई थी।

द हिमालयन गजेटियर में एटकिंसन ने गंगोत्री मंदिर का उल्लेख करते हुए लिखा है कि मंदिर परिवेश के अंदर मुख्य कार्यकारी पंडित/पुजारी के लिए एक घर बनाया गया था और मंदिर परिसर के बाहर गंगोत्री आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए एक लकड़ी का छायादार ढांचा बनाया गया था।

कैसे बना गंगोत्री शहर- Gangotri City

आज से कई वर्ष पूर्व तीर्थयात्री चार धाम यात्रा पैदल चलकर करते थे। गंगोत्री धाम पहुंचने का रास्ता काफी कठिन था और श्रद्धालुओं को बहुत परेशानी उठानी पड़ती थी। बाद में जब 1980 के दशक में सड़क निर्माण हुआ तो बड़ी तेजी से गंगोत्री शहर के निर्माण ने भी गति पकड़ ली और देखते-देखते मंदिर के आस पास के क्षेत्र में बड़ी संख्या में स्थानीय लोग रहने लगे और यह क्षेत्र एक शहर में बदल गया।

स्थानीय ने चार धाम यात्रा को एक अवसर की तरह लिया और चारों धामों के आस पास अपने अलग अलग व्यवसाय शुरू किए और अन्य लोगों के लिए भी रोजगार के अवसर उप्लब्ध कराए।

गंगा नदी का उद्गम स्थल- Ganga River Origin

गंगा नदी को उत्तराखंड में स्थित देवप्रयाग नामक जगह से गंगा के नाम से जाना जाता है। हालांकि गंगा नदी का उद्गम गंगोत्री धाम से कुछ दूरी(19km) पर स्थित गंगोत्री ग्लेशियर से होता है। गंगोत्री ग्लेशियर उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र का सबसे बड़ा ग्लेशियर है। इसी ग्लेशियर से गोमुख नामक स्थान पर गंगा नदी प्रवाहित होने शुरू होती है। उत्तराखंड में गंगा को भगीरथी नदी के नाम से जाना जाता है।

कैसे पहुंचे गंगोत्री धाम- How to reach Gangotri Temple

कपाट खुलने के बाद 6 माह तक तीर्थयात्री वायु मार्ग और सड़क मार्ग से यात्रा कर सकते हैं।

  • वायु मार्ग(By Helicopter)- अगर आप वायु मार्ग से यात्रा करना चाहते हैं तो उत्तराखंड के देहरादून स्थित निकटतम हवाईअड्डा जॉलीग्रांट एयरपोर्ट से यात्रा करनी होगी। जोलीग्रांट एयरपोर्ट से गंगोत्री धाम की दूरी 226 किमी है।
  • सड़क मार्ग(By Road)- सड़क मार्ग से गंगोत्री पहुंचे के लिए आपको हरिद्वार-ऋषिकेश से बस, कार और टैक्सी सेवा आसानी से उपलब्ध हो जाएगी। सड़क से यात्रा करने वाले यात्रियों को गंगोत्री पहुंचने के लिए 229 km का सफर तय करना पड़ता है।

गंगोत्री धाम के नजदीकी पर्यटन स्थल- Places to Visit Near Gangotri Temple

घूमने के शौकीन लोगों को गंगोत्री धाम और इसके आस पास की जगहें खूब लुभाती हैं। अगर आप गंगोत्री धाम यात्रा 2024 की योजना बना रहे हैं तो आपको ये जगहें जरूर घूमनी चाहिए।

गौमुख- Gaumukh, Gangotri

गौमुख वही जगह है जहाँ से भगीरथी (गंगा) नदी का उद्गम होता है। यह स्थल गंगोत्री धाम से लगभग 19 किमी की दूरी और 3,892 मीटर की ऊंचाई पर गंगोत्री ग्लेशियर पर स्थित है।गौमुख तक पहुंचने के लिए आप पैदल चल सकते हैं या फिर घोड़े, खच्चर की सवारी ले सकते हैं। गौमुख गाय के मुख के समान आकर की गुफा है इसीलिए इस गुफा को गौमुख कहा जाता है, जहां से भागीदारी नदी का उदगम होता है।

मुखबा गाँव- Mukhba Village

मुखबा गाँव, गंगोत्री धाम के नजदीक है और जब शीतकाल में 6 महीने के लिए गंगोत्री धाम के कपाट बंद होते हैं तो इसी गांव में देवी गंगा लाया जाता है और अगले 6 महीने तक यहीं माँ गंगा की पूजा होती है। मान्यता के अनुसार इसी स्थान पर मातंग ऋषि ने वर्षों तक तपस्या की थी।

केदारताल- Kedartaal

केदारताल, गंगोत्री धाम से 14 किमी की दूरी पर स्थित एक ताल है, यहां तक पहुंचने का मार्ग काफी कठिन और उबड़ खाबड़ पहाड़ियों से भरा ओड़ है। इस मनोरम। झील का जल काफी शांत और स्वच्छ है। केदारताल कि ऊँचाई समुद्र तल से लगभग 15000 फ़ीट है। केदारताल आने का सबसे उत्तम समय जून से अक्टूबर माना जाता है।

केदार ग्लेशियर के पिघलने से बनी यह झील सौंदर्य से परिपूर्ण है और इस झील के आस पास की मनोरम सुंदरता को देखकर आप रास्ते की पूरी थकान को भूल जाएंगे। इसी झील से भागीरथी की एक सहायक नदी केदार गंगा का भी उद्गम होता है।

भैरो घाटी- Bhairo Ghati

गंगोत्री धाम से केवल 9 किमी की दूरी पर स्थित इस घाटी में जाह्नवी और भागीरथी नदी का संगम होता है। यहां आप इन दोनों पवित्र नदियों के मनोरम संगम को निहार सकते हैं और आस पास प्रकृति के सुंदर नजरों का आनंद ले सकते हैं। भैरो घाटी से आप अनेक सुंदर-सुंदर चोटियों का दीदार कर सकते हैं। 1985 से पहले जब यहां सड़क नही थी तो इसी घाटी से होकर तीर्थयात्री गंगोत्री धाम की पैदल यात्रा करते थे।

गंगोत्री धाम के आस पास बहुत सी अन्य जगहें हैं जहां आप यात्रा के दौरान घूम सकते हैं और अपनी यात्रा को और भी मजेदार बना सकते हैं। आप हमारे द्वारा बताए गए पर्यटन स्थलों के अतिरिक्त इन स्थानों में भी घूम सकते हैं।

चार धाम यात्रा ट्रेन 2024- Char Dham Yatra 2024 By Train

पूरी तरह ट्रेन से चार धाम यात्रा करने के लिए अभी चार धाम यात्रा रेल परियोजना(Char Dham Yatra Rail Pariyojana) पर काम चल रहा है। लगभग 2025 तक काम पूरा हो जाएगा। लेकिन वर्तमान समय में आपको ऋषिकेश या हरिद्वार तक ही ट्रेन की सुविधाएं उपलब्ध हैं। आप भारत में अधिकांश बड़े शहरों से हरिद्वार-ऋषिकेश के लिए ट्रेन सेवा का लाभ उठा सकते हैं। हरिद्वार-ऋषिकेश से आपको बस, टैक्सी या कार से चार धाम यात्रा करनी होगी। अधिकतर यात्री बस से यात्रा करना पसंद करते हैं। क्योंकि बस का किराया टैक्सी और कार की तुलना में कम होता है।

गंगोत्री धाम रजिस्ट्रेशन 2024- Gangotri Temple Registration 2024

गंगोत्री धाम यात्रा (Gangotri Dham Yatra 2024) के लिए आप ऑनलाइन या ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं। सरकार के चार धाम यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया है।

चार धाम यात्रा 2024 महत्वपूर्ण तिथियाँ- Char Dham Yatra Opening And Closing Dates

TempleOpening DatesClosing Dates
Gangotri10 May 2024
Yamunotri10 May 2024
Kedarnath10 May 2024
Badrinath12 May 2024

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FAQ:-

Q. गंगोत्री मंदिर कहाँ स्थित है?

Ans- गंगोत्री धाम उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित है और इस मंदिर में माँ गंगा की पूजा की जाती है। गंगोत्री धाम उत्तराखंड स्थित चार धामों में से एक है।

Q. गंगोत्री धाम कैसे पहुंचे?

Ans- गंगोत्री धाम पहुँचने के लिए आप वायु मार्ग और सड़क मार्ग का प्रयोग कर सकते हैं। वायु मार्ग से यात्रा करने के लिए आपको देहरादून स्थित जॉलीग्रांट एयरपोर्ट से 226km की यात्रा करनी होगी। सड़क मार्ग से यात्रा करने के लिए ऋषिकेश से आपको बस, कार और टैक्सी से 229 km की यात्रा करनी होगी।

Q. गंगोत्री धाम के नजदीक सबसे अच्छी घूमने की जगहें कौन सी हैं?

Ans- गंगोत्री धाम के आस पास के क्षेत्र में आप गौमुख, नंदनवन तपोवन, हर्षिल, केदारताल, गंगोत्री-चिरबासा, गंगोत्री-भोजबासा, मुखबा गाँव और ऐसे अनेक पर्यटन स्थलों पर घूम सकते हैं।

Q. गंगोत्री धाम जाने का सबसे अच्छा समय कौन सा है?

Ans- कपाट खुलने के बाद आप किसी भी समय गंगोत्री धाम जा सकते हैं। शुरुआत में मंदिर में श्रद्धालुओं की बहुत भीड़ रहती है. यदि आप कम भीड़ में यात्रा करना चाहते हैं तो सितम्बर-अक्टूबर का समय सबसे बेस्ट रहता है. मानसून के समय यात्रा करने से बचें.

Q. गंगोत्री मंदिर का निर्माण किसने करवाया था।

Ans- सबसे पहले गोरखा कमांडर अमर सिंह थापा ने गंगोत्री मंदिर का निर्माण(18वीं सदी में) करवाया था लेकिन वर्तमान मंदिर का नवीकरण 20 वीं सदी में जयपुर के राजा माधो सिंह द्वितीय ने करवाया था।

Q. गंगोत्री धाम का क्या महत्व है?

Ans- सनातन धर्म मे गंगोत्री धाम का बहुत महत्व है, माना जाता है कि इसी स्थान पर राजा भगीरथ ने देवी गंगा को धरती पर लाने के लिए तपस्या की थी और तब माँ गंगा ने शिवजी की जटाओं से होकर धरती में प्रवेश किया था। सनातन धर्म में गंगा जल को अमृत के समान माना जाता है।

Q.गंगोत्री धाम की वास्तुकला कैसी है?

Ans- गंगोत्री मंदिर कत्यूरी शैली के समान बना हुआ है जिसमें 20 फ़ीट के पांच छोटे -छोटे शिखर हैं और मंदिर का प्रवेशद्वार पूर्व दिशा की ओर है।

Q. गंगा नदी का उद्गम कहाँ से होता है?

Ans- गंगा नदी का उद्गम उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में गौमुख नामक स्थान से होता है। गौमुख, गंगोत्री धाम से 19 किमी की दूरी पर है और उत्तराखंड गौमुख से देवप्रयाग तक गंगा नदी को भागीराथी के नाम से जाना जाता है।

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