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Kedarnath Temple History: केदारनाथ उत्तराखंड में मंदाकनी नदी के समीप स्थित एक पवित्र तीर्थस्थल है और समुद्र तल से 3584 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। केदारनाथ उत्तराखंड में स्थित चार प्रसिद्ध धामों और पंचकेदार में से एक है। इस मंदिर का पौराणिक नाम केदार खंड था और यह शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
केदारनाथ उत्तराखंड के जनपद रुद्रपयाग में स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर भोलेनाथ को समर्पित है और तीन तरफ से ऊँची-ऊँची बर्फ से ढकी पहाड़ियों से घिरा है। केदारनाथ मंदिर के कपाट साल में केवल छः महीने (April-November) ही खुले रहते हैं। बाकी के छः महीने Omkareshwar मंदिर में केदारनाथ डोली को स्थानांतरित कर दिया जाता है और वहां निरंतर पूजा पाठ किया जाता है।
चार धाम यात्रा 2024 महत्वपूर्ण तिथियाँ- Char Dham Yatra Opening And Closing Dates
Temple | Opening Dates | Closing Dates |
Gangotri | 10 May 2024 | – |
Yamunotri | 10 May 2024 | – |
Kedarnath | – | – |
Badrinath | 12 May 2024 | – |
केदारनाथ मंदिर का रहस्य/इतिहास- Kedarnath Temple History/Mystery
केदारनाथ मंदिर के इतिहास(Kedarnath Temple History) के बारे में मान्यता है कि जब पांडवों ने कुरुक्षेत्र में कौरवों को हरा कर महाभारत का युद्ध जीता तो उन्हें अपने ही द्वारा अपने प्रियजनों का वध करने पर बड़ी पीड़ा पहुंची, इसलिए वो इस समस्या का समाधान पाने के लिए शिव की शरण में जाना चाहते थे लेकिन भोलेनाथ, पांडवो को दर्शन नहीं देना चाहते थे। पांडवो से पीछा छुड़ाने के लिए भगवान शिव केदारनाथ आ गए लेकिन पांडव भी उनके पीछे पीछे वहीं आ पहुंचे।
तब भगवान शिव ने बैल का रूप धारण कर लिया और अन्य बैलों के झुंड में घुस गए ताकि पांडव उन्हें पहचान न सकें लेकिन पांडवों ने इस बात को भांप लिया और महाबली भीम ने शिव को पकड़ने के लिए विशालकाय रूप धारण किया और उन्हें पकड़ने की कोशिश में भगवान शिव नीचे गिर गए और भीम के हाथ में बैल का कूबड़ आया और बाकी हिस्से गढ़वाल क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों में दिखाई दिए।
कूबड़ केदारनाथ में, मुख रुद्रनाथ में, हाथ तुंगनाथ में, बाल कल्पेश्वर में और नाभि मदमहेश्वर में दिखाई दिए। ये सभी जगहें पंच केदार के नाम से जानी जाती हैं और हर वर्ष इन सभी मंदिरों के कपाट खुलते हैं और हज़ारों-लाखो की संख्या में यहां शिवभक्त पहुंचते हैं।
केदारनाथ मंदिर का निर्माण कब और किसने करवाया- Who Built Kedarnath Temple
- केदारनाथ मंदिर कब और किसने बनवाया इसके साक्ष्य उपलब्ध नहीं हैं लेकिन एक मान्यता के अनुसार इस मंदिर का निर्माण 3500 ईसा पूर्व का माना जाता है।
- मान्यता है की सर्वप्रथम केदारनाथ मंदिर का निर्माण पांडवों द्वारा किया गया था। इसके बाद 8वीं शताब्दी में आदि गुरु शंकराचार्य जी महाराज के द्वारा केदारनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण/जीर्णोद्धार करवाया गया।
- शंकराचार्य जी के बाद 10वीं शताब्दी में मालवा के राजा भोज ने इस मंदिर का पुनः निर्माण करवाया।
- 2013 में केदारनाथ में आयी भीषण आपदा में मंदिर को कुछ क्षति पहुंची तो फिर से मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया।
बता दें केदारनाथ मंदिर का इतिहास (Kedarnath Temple History) आदि गुरु शंकराचार्य से भी जुड़ा है। आदिगुरु शंकराचार्य ने बहुत ही छोटी उम्र में हिन्दू धर्म का प्रचार प्रसार शुरू कर दिया था और उन्होने हिंदू धर्म को आगे बढ़ाने के लिए बहुत सारे प्रयास किये। इन्हीं प्रयासों में उन्होंने पूरे भारतवर्ष में चारों दिशाओं में चार मठों का निर्माण करवाया। इन मठों में उत्तर में स्थित मठ बद्रीनाथ है।
केदारनाथ मंदिर की वास्तुकला- Kedarnath Temple Architecture/Structure
- केदारनाथ मंदिर 6 फ़ीट ऊंचे चबूतरे पर स्थित विशाल शिलाखंडों से मिलाकर निर्मित किया गया है।
केदारनाथ मंदिर लगभग 85 फुट ऊंचा, 187 फुट लंबा और 80 फुट चौड़ा है।
- केदारनाथ मंदिर की दीवारों को 12 फुट मोटा बनाया गया है।
- मंदिर में एक गर्भ गृह (Garbha Griha) और एक मंडप (Mandap) है, जहां पूजा होती है।
- मंदिर की बाहरी दीवारों पर वास्तुकारों द्वारा पर कहीं-कहीं अन्य छोटी मूर्तियां बनाई गयी हैं जिससे मंदिर की शोभा और बढ़ जाती है।
- मंदिर के ठीक बाहर नंदी बैल मंदिर की पहरेदारी करते हुए विराजमान हैं।
- मंदिर प्रांगण में भोलेनाथ के त्रिशूल स्थापित किये गए हैं।
- मंदिर की ओर जाती हुई धूसर रंग की सीढ़ियों पर ब्रह्मलिपि में कुछ लिखा गया है, जिसे पढ़ना मुश्किल है।
केदारनाथ मंदिर पूजा समय- Kedarnath Temple Pooja Timing
- केदारनाथ मंदिर में चार धाम यात्रा के दौरान हर सुबह शिव पिंड को स्नान करवाया जाता है और फिर घी का लेप किया जाता है।
- हर सुबह 4 बजे महाभिषेक होता है। और 6 बजे दर्शन के लिये मंदिर कपाट खोल दिए जाते हैं।
- मंदिर में 3 से 5 बजे तक विराम लिया जाता है और फिर 5 से 7 बजे तक भक्त दर्शन कर सकते हैं।
- 7 बजे शाम की आरती होती है।
कौन हैं केदारनाथ के रावल पंडित- Kedarnath Temple Rawal Pandit
केदारनाथ मंदिर में पूजा करने वाले मुख्य पुजारी को रावल पण्डित कहा जाता है। ये रावल पंडित कर्नाटक से आते हैं और इन्हीं के निर्देशन में मंदिर के सभी कार्य सम्पन्न होते हैं। यही रावल पंडित अन्य पुजारियों को उनका कार्यभार सौंपते हैं। केदारनाथ मंदिर की अपनी एक मंदिर समिति भी है। इस समिति में ये रावल पण्डित विशिष्ठ पद पर आसीन हैं और यही समिति के नियम कानून तय करते हैं।
आपदा के बाद केदारनाथ मंदिर- Kedarnath Flood 2013
2013 में केदारनाथ धाम में भीषण त्रासदी आयी और अपने साथ कई हज़ारों लोगों का जीवन ले गयी। यह आपदा 16-17 जून 2013 को आयी थी जब प्रदेश के ऊपरी इलाकों में औसत से अधिक बारिश हुई, ग्लेशियर टूटे, ताल टूटे और इन सब कारणों की वजह से मंदाकनी का जल स्तर बढ़ने लगा और नदी ने विकराल रूप धारण कर लिया। मंदाकनी नदी में जल स्तर इतना बढ़ गया था की जो कुछ भी नदी के राह में आता उसे मंदाकनी आने साथ समेट कर ले जाती।
ऐसे में मंदाकनी नदी ने मंदिर को भी काफी क्षति पहुचाई। हालांकि मंदिर के ठीक पीछे एक बड़ा विशालकाय पत्थर नदी के साथ बहकर आया और वहां से नदी दो हिस्सों में प्रवाहित हो गयी। इस विशालकाय पत्थर की वजह से मंदिर बच गया। श्रद्धालुओ का मानना है कि ये भोलेनाथ का चमत्कार ही है जो मंदिर के ठीक पीछे इतना विशालकाय पत्थर आ पहुंचा।। आपदा के बाद से इस शिलाखंड को भीम शिला के नाम से जाना जाने लगा है और अब इसकी भी निरंतर पूजा होती है।
आपदा के बाद फिर से सरकार द्वारा क्षतिग्रस्त हुए मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया गया और मंदिर के आस पास अन्य अनेक कार्य करवाये गए हैं। अब मंदिर के आस पास का क्षेत्र अलग स्वरूप में नजर आता है।
आदि गुरु शंकराचार्य समाधि स्थल- Aadi Guru Shankracharya Samadhi Kedarnath
आदि गुरु शंकराचार्य ने 8वीं शताब्दी में केदारनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था और मंदिर को फिर से एक नया रूप दिया। आदि गुरु शंकराचार्य की समाधि केदारनाथ मंदिर के ठीक पीछे स्थित है। शंकराचार्य ने 32 वर्ष की कम आयु में केदारनाथ मंदिर के समीप ही मोक्ष(शरीर से मुक्ति) लेने का निर्णय लिया और समाधि में चले गए। जिस स्थान पर शंकराचार्य जी ने मोक्ष लिया उसी स्थान को शंकराचार्य समाधि स्थल (Shankracharya Samadhi Sthal) कहा जाता है।
2013 की आपदा में आदि गुरु शंकराचार्य का समाधि स्थल(Shankracharya Samadhi Sthal) नदी के साथ बह गया था। इसके बाद शंकराचार्य समाधि स्थल को दुबारा बनाया गया और इसी के साथ शंकराचार्य की एक 12 फ़ीट ऊंची प्रतिमा/मूर्ती भी बनाई गयी। इस मूर्ति का अनावरण देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा 5 नवंबर 2021 को किया गया। इस मूर्ति का निर्माण मैसूर में किया गया और मूर्ति का वजन 35 टन है।
आदि गुरु शंकराचार्य मूर्ति- Aadi Shankracharya Statue
मूर्ति (Statue) | आदि गुरु शंकराचार्य |
स्थान (location) | केदारनाथ मंदिर |
अनावरण (Unveil by) | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी |
अनावरण तिथि (Unveil Date) | 5 नवंबर 2021 |
ऊँचाई (Height) | 12 फ़ीट |
वजन (Weigh) | 35 टन |
चार धाम यात्रा ट्रेन 2024- Char Dham Yatra Train 2024
ट्रेन से चार धाम यात्रा करने के लिए अभी चार धाम यात्रा रेल परियोजना(Char Dham Yatra Rail Pariyojana) पर काम चल रहा है। लगभग 2025 तक काम पूरा हो जाएगा। लेकिन वर्तमान समय में आपको ऋषिकेश या हरिद्वार तक ही ट्रेन की सुविधाएं उपलब्ध हैं। आप भारत में अधिकांश बड़े शहरों से हरिद्वार-ऋषिकेश के लिए ट्रेन सेवा का लाभ उठा सकते हैं। हरिद्वार-ऋषिकेश से आपको बस, टैक्सी या कार से चार धाम यात्रा करनी होगी। अधिकतर यात्री बस से यात्रा करना पसंद करते हैं। क्योंकि बस का किराया टैक्सी और कार की तुलना में कम होता है।
FAQ
Q. केदारनाथ मंदिर में किस भगवान की पूजा की जाती है?
Ans- केदारनाथ में भगवान शिव की पूजा होती है। केदारनाथ धाम उत्तराखंड के चार प्रसिद्ध धामो और पांच केदार में से एक है। और शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
Q. केदारनाथ धाम किस नदी के समीप स्थित है?
Ans- केदारनाथ धाम मंदाकनी नदी के समीप स्थित है। इसी मंदाकनी नदी में 2013 में भीषण बाढ़ आयी थी।
Q. केदारनाथ धाम पहुंचने के लिए कितने किलोमीटर का पैदल ट्रेक करना पड़ता है?
Ans- केदारनाथ धाम पहुँचने के लिए गौरीकुण्ड से 18 किलोमीटर का पैदल ट्रेक करना पड़ता है। 2013 से पहले यह ट्रेक 14 किमी का था लेकिन आपदा के बाद नया ट्रेक 18 किमी का हो गया है।
Q- केदारनाथ धाम कैसे पहुँचे?
Ans- केदारनाथ धाम आने के लिए पहले आपको हरिद्वार आना होगा। हरिद्वार से बस, टैक्सी, कार इत्यादि की सुविधा उपलब्ध होती है। आपको हरिद्वार-ऋषिकेश-देवप्रयाग-श्रीनगर-रुद्रप्रयाग-गुप्तकाशी-सोनप्रयाग-गौरीकुंड मार्ग फॉलो करना होगा।
Q. केदारनाथ मंदिर में पुरोहित कौन होते हैं ?
Ans- केदारनाथ में मुख्य पुरोहित कर्नाटक से आते हैं और इन्हें रावल पुरोहित कहा जाता है, इन्ही के दिशा निर्देशों से मंदिर की कार्य समिति काम करती हैं।