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Ajab Gajab Village : देश का इकलौता ऐसा गांव, जहां एक भी घर की नहीं है पक्की छत, क्यों ऐसा करने से डरते हैं लोग?

Ajab Gajab Village : वैसे तो हमें रोजाना दुनिया भर के कई अजीबों गरीब जगहों और गाँवों के बारे में देखने-सुनने को मिलता है लेकिन आज के आर्टिकल में हम आपको एक भारत के एक ऐसे गाँव के बारे में बताने जा रहे है जहाँ की एक भी मकान या घर में एक भी पक्की छत नहीं है, आइये विस्तार से जानते हैं इस Ajab Gajab भारतीय गाँव के बारे में।

भारतीय राज्य गुजरात के कच्‍छ क्षेत्र में एक ऐसा गांव है, जहां लोग वर्तमान समय में भी अपने घर पर पक्‍की छत (pitched roof on house) नहीं बनाते, बल्कि वे पाइप वाले घरों में रहते हैं। आपको कच्‍छ में आया विनाशकारी भूकंप याद होगा, जिससे हजारों घर तबाह हो गए थे। हजारों लोगों की जानें गई थी। माना जाता है कि, भूकंपीय जोन में होने के कारण सनोसरा गांव के लोग अपने घरों पर पक्का छत बनाने से डरते हैं। यहां लंबे अरसे तक लोगों द्वारा नलिया हाउस ही बनाए जाते रहे। फिर जब कच्‍छ में तेजी से विकास-कार्य होने लगे और लोगों में भूकंप का डर (fear of earthquake) खत्‍म हुआ तो लोगों ने दो मंजिला ईंटों के मकान बनाने शुरू कर दिए। हालांकि, सनोसरा गांव आज भी वैसा है, जहां लोग घर की पक्‍की छत नहीं बनाते।

अनोखा है गुजरात का यह गांव

Ajab Gajab
Ajab Gajab Village

बता दें कि, चारों तरफ पहाड़ियों के बीच बसे सनोसरा गांव में करीब 500 घर हैं। इस गांव में, जिसमें ज्यादातर मालधारी समुदाय के लोग रहते हैं। बताया जाता है कि, जब मालधारी पहली बार बसने आए, तो मोमाई माताजी के बगल के मंदिर में पूजा-अर्चना करते थे। बुजुर्ग कहते हैं कि, तभी उन लोगों ने यह प्रण लिया था कि, गांव का कोई भी परिवार अपने घर की पक्‍की छत (pitched roof of house) नहीं बनाएगा। इसलिए कहा जाता है कि, जब से गांव बसा तब से लेकर अब तक यहां किसी ने अपने घर पर पक्‍की छत नहीं बनाई है। इस गांव में ही नहीं बल्कि आसपास के गांवों में रहने वाले कई लोग इन मान्यताओं के अनुसार, अपने घरों पर पक्की छत नहीं बनाते हैं।

पतरा वाले घरों में रहने के दो कारण

व्यवसाय व रोजगार के लिए जिले के अन्य कस्बों और गांवों में प्रवास करने के बाद भी, मूल सनोसरा गांव के कई मूल निवासी अभी भी इस परंपरा को बनाए रखते हैं और एक पतरा वाले घर में रहते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि, घरों की पक्‍की छतें न बनाने के पीछे की दो वजहें हैं, एक तो वे अपने पूर्वजों की परंपरानुसार ऐसा नहीं करते। दूसरे, यह जोन भूकंपीय है। यहां बीते 3-4 दशकों में अनेकों बार भूकंप आ चुके हैं। यहां बारिश कम ही होती है, लिहाजा, सनोसरा गांव के अलावा कई अन्य गांवों में रहने वाले परिवारों ने भी ऐसे घर बनवा रखे हैं, जिनके गिरने-ढहने पर जान-माल का नुकसान न हो।

अब भवन निर्माण की नई-आकर्षक पद्धतियां

पिछले कुछ वर्षों से इस क्षेत्र में भवन निर्माण की कुछ बेहतरीन और आकर्षक नई पद्धतियां का इस्‍तेमाल किया गया है, जिसने भी बिना पक्की छत के मकान इस तरह बनाया है कि दूर से देखने वालों को यह नहीं लगता कि मकान है। लोग नलिया या पतरे से आज भी घर बनाते हैं। कई लोगों ने देवी से जुड़ी परंपरा (tradition related to goddess) के खिलाफ जाकर पक्का घर बनाया, लेकिन बाद में उसे छोड़ भी दिया। गांव में बुजुर्गों का मानना है कि जो लोग पक्की छत के मकान बनाते हैं, वो सुध-बुध खो बैठते हैं और उनकी आंखों की रोशनी भी चली गई।

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