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चन्द्रबदनी मंदिर उत्तराखंड की पूरी जानकारी: Chandrabadani Temple Uttarakhand In Hindi

Chandrabadani Temple In Hindi: चन्द्रबदनी मंदिर उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले में देवप्रयाग से केवल 33 km की दूरी पर स्थित राज्य के प्रसिद्द मंदिरों में से एक है, मंदिर समुद्रतल से 2277 मीटर ऊँचाई पर चंद्रकूट नामक पर्वत पर स्थित है। चन्द्रबदनी मंदिर माता सती को समर्पित है और देश में स्थापित 51 शक्तिपीठों में से एक हैं। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि चन्द्रबदनी मंदिर में माता की किसी भी मूर्ती की पूजा नहीं की जाती है, यहाँ पर कालीमठ मंदिर की भांति ही देवी के एक श्री यंत्र की पूजा की जाती हैं, जो कि कछुए की पीठ के आकर का दिखाई देता है।

चन्द्रबदनी मंदिर ऐसी जगह पर स्थित है जहाँ से आपको हिमालय के मनोरम दृश्य दिखाई देते हैं, इसके अलावा यहाँ से सुरकंडा, केदारनाथ, बद्रीनाथ आदि जगहों को भी स्पष्ठ देखा जा सकता है। मंदिर में हरवर्ष एक रहस्यमयी पूजा की जाती है, यह पूजा अप्रैल माह में होती है और इस पूजा का बहुत महत्व माना जाता है, इस दिन माता के भक्त यहाँ हजारों की संख्या में पहुँचते हैं। आज के इस लेख में हम आपको चन्द्रबदनी मंदिर उत्तराखंड के बारे में विस्तृत जानकारी देने वाले हैं, कृपया लेख को अंत तक पढ़ें।

Table of Contents

चन्द्रबदनी मंदिर की कहानी और इतिहास- Chandrabadani Temple History In Hindi

चन्द्रबदनी मंदिर का इतिहास और कहानी बहुत प्राचीन है, मान्यता है कि एक बार माता सती के पिता राजा प्रजापति दक्ष ने एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया लेकिन इस यज्ञ में भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया गया, माता सती यज्ञ में शामिल हुई और पिता से शिव को आमंत्रित न किये जाने का कारण पूछा तो प्रजापति दक्ष ने शिव को बहुत अपमानित किया, माता सती अपने पति परमेश्वर भगवान भोलेनाथ के इस अपमान को सहन नहीं कर पाई और माता ने यज्ञ की अग्नि में कूदकर आत्मदाह कर किया।

जब भगवान शिव को इसका पता लगा तो उन्होंने क्रोध में माता सती के जले हुए शरीर को उठाया और अपने निवास स्थान की ओर चल पड़े, माना जाता है कि इस समय पूरी पृथ्वी में हिंसक रूप से हलचल हुई और तब सभी देवी-देवताओं ने भगवान शिव के क्रोध को शांत करने के बहुत सारे प्रयत्न किये लेकिन जब इससे भी कोई बात नहीं बनी तो भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र का प्रयोग करते हुए माता सती के जले हुए शरीर को नष्ट कर दिया।

इसके बाद माता सती के शरीर के 51 टुकड़े देश के अलग-अलग स्थानों पर पड़े और बाद में इन्ही जगहों पर 51 शक्तिपीठों की स्थापना की गयी, चन्द्रबदनी मंदिर वाले स्थान पर माता का बदन (शरीर) गिरा और यहाँ पर भी शक्तिपीठ स्थापित किया गया। चंद्रकूट पर्वत पर माता सती का बदन गिरने से यहाँ का नाम चन्द्रबदनी पड़ा।

चन्द्रबदनी शक्तिपीठ के इतिहास का उल्लेख “स्कंद पुराण, देवी भागवत एवं महाभारत में मिलता है। प्राचीन ग्रन्थों में यहाँ का वर्णन भुवनेश्वरी सिद्धपीठ नाम से है।”

चन्द्रबदनी मंदिर मूर्ती का रहस्य- Chandrabadani Temple Mystery In Hindi

चन्द्रबदनी मंदिर में कोई भी श्रद्धालु माता की मूर्ती के दर्शन नहीं कर सकते हैं, यहाँ सिर्फ माता के श्री यंत्र की पूजा और दर्शन किया जाता है। बताया जाता है कि चन्द्रबदनी में माता सती का बदन (धड़) गिरा था इसलिए यहाँ मूर्ती दर्शन नहीं किये जाते हैं, मंदिर के पुजारी भी देवी की मूर्ती का स्नान आँख पर पट्टी बाँध कर करवाते हैं।

लोककथाओं के अनुसार बताया जाता है कि एक बार मंदिर के एक पुजारी ने अज्ञानवश माता की मूर्ती देखने की चेष्टा की, उसके बाद पुजारी अँधा हो गया था। इसीलिए मंदिर में पुजारियों द्वारा माता की मूर्ती के दर्शन और स्नान आँख पर पट्टी बांध कर किया जाता है।

मंदिर के गर्भगृह में एक शिला पर श्री यंत्र बना हुआ है, जिसके उपर चांदी का एक बड़ा सा छत्र रखा गया है। आदि गुरु शंकराचार्य ने इस श्री यंत्र से प्रभावित होकर यहाँ सिद्धपीठ को स्थापित किया था।

चंद्रबदनी मंदिर का महत्व – Chandrabadani Temple Importance in Hindi

चन्द्रबदनी माता मंदिर, चंद्रकूट पर्वत पर स्थित है। मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों के अनुसार यहाँ आने पर आत्मशांति का अनुभव होता है, मंदिर पूजा में प्रयुक्त होने वाले शंख का जल ग्रहण करने का विशेष महत्व माना जाता है। चन्द्रबदनी मंदिर उत्तराखंड को लेकर एक अन्य मान्यता है कि यहाँ आज भी रात्रि समय में अप्सराएं नृत्य करती हैं। मंदिर की पौराणिक मान्यताएं हैं कि जो कोई भी श्रद्धालु यहाँ सच्चे मन से आता है माता उसकी मनोकामना अवश्य पूरी करती है।

चन्द्रबदनी मंदिर में लगने वाले मेले और त्यौहार- Chandrabadani Temple Festivals In Hindi

चन्द्रबदनी मंदिर उत्तराखंड में साल में एक बार विशेष मेले का आयोजन किया जाता है, जिसे देखने के लिए पूरे देशभर से श्रद्धालु पहुँचते हैं। इस मेले में रहस्यमयी रूप से पूजा की जाती है, मंदिर के पुजारी आँख पर पट्टी बांध कर माता की मूर्ती को स्नान करवाते हैं और मूर्ती की पूजा करते हैं। इसके अतिरिक्त मंदिर में सालभर मेलों और विशेष त्योहारों को मनाया जाता है, मंदिर में नवरात्री, दशहरा और दीपावाली के अवसर पर मेलों का आयोजन किया जाता है, इस समय हजारों की संख्या में माता के भक्त मंदिर में पहुँचते हैं।

चन्द्रबदनी मंदिर के आसपास घूमने की अन्य जगहें- Best Places To Visit in Chandrabadani Temple In Hindi

यदि आप चन्द्रबदनी मंदिर उत्तराखंड घूमने आने की योजना बना रहे हैं तो आप लोगों के मन में ये सवाल जरुर आया होगा कि मंदिर के आसपास अन्य कौन से दर्शनीय स्थल हैं जहाँ आप अपनी चन्द्रबदनी यात्रा के दौरान घूम सकते हैं, आपको बता दें की चन्द्रबदनी, मंदिर के अलावा उत्तराखंड राज्य का एक प्रसिद्द पर्यटन स्थल भी है, यहां से आप केदारनाथ, बद्रीनाथ, सुरकंडा और हिमालय के मनोरम दृश्यों का आनंद ले सकते हैं।

चन्द्रबदनी मंदिर के आस-पास स्थित अन्य दर्शनीय स्थलों में आप इस पर्यटन स्थलों और मंदिरों में घूम सकते हैं-

  • भागीरथी-अलकनंदा संगम देवप्रयाग
  • टिहरी डैम
  • अंजनीसैण मार्केट
  • शीतला देवी मंदिर
  • रघुनाथ जी मंदिर
  • धारी देवी मंदिर

चन्द्रबदनी मंदिर घूमने जाने का सबसे अच्छा समय- Best Time Visit Chandrabadani Temple In Hindi

चन्द्रबदनी मंदिर उत्तराखंड माता के भक्तों के लिए पूरे सालभर खुला रहता है, आप किसी भी समय यहाँ जा सकते हैं, हांलांकि यहाँ आने का सबसे अच्छा समय अप्रैल-जून और सितम्बर-दिसम्बर का माना जाता है। मानसून के समय उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में कहीं भी घूमने की योजना बनाने से बचें, मानसून के समय यहाँ बाढ़, भूस्खलन और बादल फटना जैसी अनेक प्राकृतिक आपदाएं होती रहती हैं, ऐसे में घूमने की योजना बनाना सही विकल्प नहीं है।

चन्द्रबदनी मंदिर कैसे पहुंचे?- How To Reach Chandrabadani Temple In Hindi

चन्द्रबदनी मंदिर पहुँचने के लिए आपको सबसे पहले हरिद्वार-ऋषिकेश या देहरादून पहुंचना होगा, यहाँ से आगे का सफर केवल बस, टैक्सी या कार से किया जा सकता है।

फ्लाइट से चन्द्रबदनी कैसे पहुंचें?- How To Reach Chandrabadani Temple By Flight In Hindi

अगर आप फ्लाइट से चन्द्रबदनी आने की योजना बना रहे हैं तो आपको बता दें की आपको देहरादून स्थित जॉलीग्रांट एअरपोर्ट तक ही फ्लाइट की सुविधा उपलब्ध होगी, यहाँ से आगे का सफ़र आपको बस, टैक्सी या कार से करना होगा। देहरादून से चन्द्रबदनी मंदिर की दूरी लगभग 122 किलोमीटर है। जॉलीग्रांट एअरपोर्ट के लिए दिल्ली से निरंतर फ्लाइट्स चलती रहती हैं।

ट्रेन से चन्द्रबदनी कैसे पहुंचें- How To Reach Chandrabadani Temple By Train In Hindi

उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में आज भी ट्रेन की सुविधा उपलब्ध नहीं है, यदि आप ट्रेन से चन्द्रबदनी मंदिर की यात्रा करना चाहते हैं तो आपको हरिद्वार, ऋषिकेश या देहरादून तक ही ट्रेन की सुविधा मिलेगी। ऋषिकेश, चन्द्रबदनी मंदिर से निकटतम रेलवे स्टेशन है, ऋषिकेश से चन्द्रबदनी की दूरी 110 km और हरिद्वार से लगभग 130 km है। हरिद्वार-ऋषिकेश से आप बस, टैक्सी या किराये की गाड़ी से चन्द्रबदनी मंदिर तक पहुँच सकते हैं।

सड़क से चन्द्रबदनी मंदिर कैसे पहुंचें- How To Reach Chandrabadani Temple By Bus In Hindi

सड़क मार्ग से चन्द्रबदनी पहुँचने के लिए आपको हरिद्वार-ऋषिकेश से देवप्रयाग के लिए आसानी से बस (Bus) मिल जाती हैं, देवप्रयाग चन्द्रबदनी मंदिर से निकटतम बस स्टेशन है। देवप्रयाग से मन्दिर की दूरी मात्र 33 किलोमीटर है। देवप्रयाग के लिए आपको दिल्ली से भी डायरेक्ट बसें मिल जाती हैं, देवप्रयाग पहुँचने के बाद आप स्थानीय परिवहन या फिर एक टैक्सी बुक करके चन्द्रबदनी मंदिर तक पहुँच सकते हैं।

चन्द्रबदनी मंदिर ट्रेक- Chandrabadani Temple Trek In Hindi

गाड़ी से उतरने के बाद चन्द्रबदनी मंदिर तक पहुँचने के लिए एक छोटा सा ट्रेक करना पड़ता है, सड़क से मंदिर तक का यह ट्रेक लगभग 1 km का है। इस छोटे से आसान ट्रेक को करते समय आप आस-पास की हरियाली और नजारों को आनंद ले सकते हैं।

चन्द्रबदनी में कहाँ रुकें- Where to Stay In Chandrabadani Temple In Hindi

चन्द्रबदनी मंदिर उत्तराखंड बहुत ऊँचाई पर स्थित है, यहाँ रहने के लिए धर्मशालाओं के अतिरिक्त होटल की कोई व्यवस्थाएं नहीं हैं, यदि आप होटल में रुकना चाहते हैं तो आपको देवप्रयाग या नई टिहरी में ही होटल उपलब्ध हो पाएंगे, यहाँ आपको आपके बजट के हिसाब से होटल मिल जाते हैं आप अपनी आवश्यकतानुसार होटल का चयन कर सकते हैं।

FAQs

Q- चन्द्रबदनी मंदिर कहाँ स्थित है?

Ans- चन्द्रबदनी मंदिर उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले में स्थित है।

Q- चन्द्रबदनी मंदिर किस देवी को समर्पित है?

Ans- चन्द्रबदनी मंदिर देश में स्थित 51 शक्तिपीठों में से एक है, यह मंदिर माँ सती को समर्पित है।

Q- चन्द्रबदनी मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय कौन सा है?

Ans- चन्द्रबदनी मंदिर उत्तराखंड माता के भक्तों के लिए पूरे सालभर खुला रहता है, आप किसी भी समय यहाँ जा सकते हैं, हांलांकि यहाँ आने का सबसे अच्छा समय अप्रैल-जून और सितम्बर-दिसम्बर का माना जाता है।

Q- चन्द्रबदनी मंदिर किस पर्वत पर स्थित है?

Ans- चन्द्रबदनी मंदिर, चंद्रकूट पर्वत पर स्थित है।

Q- चन्द्रबदनी मंदिर देवप्रयाग से कितनी दूरी पर स्थित है?

Ans- चन्द्रबदनी मंदिर देवप्रयाग से लगभग 33 km की दूरी पर स्थित है।

Q- चन्द्रबदनी मंदिर, श्रीनगर से कितनी दूरी पर स्थित है?

Ans- श्रीनगर से चन्द्रबदनी मंदिर की दूरी लगभग 45 km है।

Q- चन्द्रबदनी मंदिर कैसे पहुंचें?

Ans- चन्द्रबदनी मंदिर पहुँचने के लिए आपको सबसे पहले हरिद्वार-ऋषिकेश या देहरादून पहुंचना होगा, वहां से आगे आप देवप्रयाग तक बस (Bus) में सफ़र कर सकते हैं, देवप्रयाग के बाद आप स्थानीय परिवहन या फिर टैक्सी बुक करके चन्द्रबदनी मंदिर तक पहुँच सकते हैं।

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