भारत में उत्तराखंड के चमोली जिले में बसे माणा गाँव को भारत के पहले गाँव (First Indian Village) का दर्जा दिया गया है। पहले माणा गाँव को भारत के आखिरी गाँव के रूप में जाना जाता था। बीते सोमवार को सीमा सड़क संगठन (BRO) ने माणा गाँव के गेट पर भारत के पहले गाँव का बोर्ड लगा दिया है। समुद्रतल से माणा गाँव की ऊंचाई 3219 मीटर है।
माणा गाँव: भारत का अंतिम गाँव (Mana Village: Last Indian Village)
भारत दुनिया का एक विशाल देश है जिसमें अनेक गाँव हैं। हालांकि, उत्तराखंड के चमोली जिले में भारत-चीन (तिब्बत) सीमा पर स्थित माणा गाँव को पहले भारत का अंतिम गाँव माना जाता था। यहाँ स्थित हर दुकान और मकान पर भारत की अंतिम दुकान या भारत का अंतिम मकान लिखा मिलता था, अब भारत के इसी अंतिम गाँव को भारत के पहले गाँव (First Indian Village) के नाम से जाना जायेगा।
माणा गाँव: भारत का पहला गाँव (First Indian Village Mana)
माणा गाँव को भारत का पहला गाँव (First Indian Village) घोषित करने का फैसला पिछले साल अक्टूबर 2022 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के माणा दौरे के बाद किया गया, माणा गाँव में अपने दौरे के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा था कि ” माणा गाँव, भारत के अंतिम गाँव के रूप में जाना जाता है। लेकिन मेरे लिए सीमा पर बसा हर गाँव, देश का पहला गाँव है” माणा गाँव के अतरिक्त सीमा पर बसे हर गाँव को भारत के पहले गाँव (First Indian Village Mana) के रूप में जाना जायेगा।
माणा गाँव की स्थिति (Mana Village Location)
माणा गाँव उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में जोशीमठ से लगभग 3 किलोमीटर दूर, भारत-चीन (तिब्बत) सीमा के पास स्थित है। माणा गाँव सीमा सड़क संगठन (Border Roads Organisation – BRO) के द्वारा संचालित सड़कों से जुड़ा हुआ है।
बीआरओ एक सेना संगठन है जो सीमा क्षेत्रों और दुर्गम क्षेत्रों में सड़क निर्माण के लिए निर्माण करता है। इस संगठन का मुख्य उद्देश्य अन्य देशों के साथ सीमा साझा करने वाले पहाड़ी राज्यों में जगह-जगह सड़क निर्माण करना है जिससे लोगों के लिए दुर्गम क्षेत्रों में यातायात सुरक्षित और सुविधाजनक हो सके और सेना को सीमा क्षेत्रों तक पहुँचने में आसानी हो सके। बीआरओ (BRO) द्वारा माणा गाँव में सड़क के निर्माण से पहले, यह गाँव तिब्बत सीमा के नजदीक स्थित होने के कारण अंतिम भारतीय गाँव (Last Indian Village) के रूप में जाना जाता था।
चीन सीमा से माणा गाँव की दूरी (Mana Village Distance From China Border)
उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित भारत के पहले गाँव माणा (First Indian Village Mana) भारत-चीन सीमा से लगभग 24 किलोमीटर की दूरी पर बसा हुआ है। समुद्रतल से माणा गाँव की ऊंचाई 3219 है।
भारत की आखिरी चाय की दुकान (Last Indian Tea Shop)
भारत की आखिरी चाय की दुकान माणा गाँव में स्थित है, यहाँ हर मकान और दुकानों पर ऐसे लिखा हुआ मिलता है। हालाँकि, माणा गाँव को भारत का पहला गाँव का दर्जा मिलने के बाद भारत की आखिरी चाय की दुकान, भारत की पहली चाय की दुकान में बदल जाएगी।
कैसे पहुंचे भारत के पहले गाँव माणा (How To Reach First Indian Village Mana)
उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित भारत के पहले गाँव (First Indian Village Mana) माना पहुँचने के लिए सबसे पहले आपको हरिद्वार-ऋषिकेश आना होगा। हरिद्वार-ऋषिकेश तक आप ट्रेन से आ सकते हैं। हालाँकि हरिद्वार पहुँचने के बाद आपको आगे का सफ़र बस, टैक्सी या कार से ही करनी होगी। हरिद्वार आगे अभी ट्रेन की सुविधा उपलब्ध नहीं है। हरिद्वार से ऋषिकेश-देवप्रयाग-श्रीनगर-रुद्रप्रयाग-गौचर-कर्णप्रयाग-नंदप्रयाग आदि स्थानों से होकर गुजरना होता है। अंत में आप माणा गाँव पहुँच सकते हैं।
माणा गाँव का इतिहास (Mana Village History)
भारत के पहले गाँव माना (First Indian Village) का इतिहास बहुत पुराना है। यह गाँव एक समय में एक बड़ी नगरी थी, पहाड़ी क्षेत्रों जीवन यापन करना बहुत मुश्किल होता है, इस वजह से इस क्षेत्र से और उत्तराखंड के अधिकांश पहाड़ी क्षेत्र से लोगों ने पलायन कर दिया है और शहरी इलाकों को में रहने के लिए बाध्य हो गए हैं। वर्तमान में यह एक छोटा सा गाँव रह गया है। यह गाँव कुछ लोगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस गाँव में कुछ धार्मिक गुरुओं का निवास है और उनके अनुयायियों के लिए यह गाँव धर्म का एक महत्वपूर्ण केंद्र है।
माणा गाँव की जीवन शैली (Mana Village Lifestyle)
माना गाँव (First Indian Village Mana) में लोग बहुत ही सरल जीवन शैली अपनाते हैं। वे खेती और पशुपालन से अपना जीवन चलाते हैं। उनके पास न ही तकनीकी उपकरण नहीं हैं और वे आधुनिक जीवन शैली से अलग हैं। यहां के लोग स्वच्छता को बहुत महत्व देते हैं और अपने घरों को और गाँव को साफ-सुथरा रखते हैं।
माणा गाँव एक पर्यटन स्थल (Mana Village Tourism)
भारत का पहला गाँव माना (First Indian Village) पर्यटकों के लिए भी एक आकर्षण का केंद्र है। यहां के धार्मिक स्थलों के अलावा, यहां प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण बहुत सी जगहें हैं। गाँव के पास एक झील है जिसे “माना झील” (Mana Lake) के नाम से जाना जाता है। यहां बहुत ही ऊँचे पर्वत है जिसे “चौखम्बा” कहा जाता है। इसके अलावा, यहां बहुत सारे घाट हैं जो घूमने के शौक़ीन लोगों को एक अच्छा अवसर प्रदान करते हैं।
निष्कर्ष (Conclusion)
माना गाँव को अब भारत के पहले गाँव (First Indian Village) के रूप में जाना जायेगा। यह एक ऐसा स्थान है जो अन्य सभी गाँवों से थोड़ा अलग है। यहां के लोग बहुत ही सरल जीवन शैली अपनाते हैं जिससे अन्य लोग बहुत कुछ सीख सकते हैं। इस गाँव को पर्यटकों द्वारा अवश्य देखा जाना चाहिए क्योंकि यहां अनुभव करने को बहुत कुछ है। इस गाँव में जीवन का एक अलग अंदाज है जो आपको अपने जीवन के साथ जुड़े कुछ महत्वपूर्ण सीखों का अनुभव करने का मौका देगा।
हालांकि, इस गाँव के लोगों को सहायता की आवश्यकता है। उन्हें सामाजिक सुरक्षा योजनाओं, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और अन्य सुविधाओं का अभाव महसूस होता है। सरकार को इस गाँव के विकास के लिए अधिक से अधिक ध्यान देना चाहिए ताकि इस गाँव में रहने वाले लोगों को अधिक सुविधाएं प्रदान की जा सकें।
FAQs
Q. भारत का पहला गाँव माणा कहाँ स्थित है?
Ans- भारत का पहला गाँव माणा उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है, और यह गाँव भारत-चीन सीमा से लगभग 24 किलोमीटर की दूरी पर बसा है।
Q. भारत का पहला गाँव कौन सा है?
Ans- माणा गाँव, यह गाँव उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है और पहले माणा गाँव को भारत के अंतिम गाँव के रूप में माना जाता था।
Q. भारत की आखिरी चाय की दुकान कहाँ है?
Ans- भारत की आखिरी चाय की दुकान माणा गाँव में है जो कि उत्तराखंड के चमोली जिले में है।
Q. भारत के पहले गाँव माणा कैसे पहुंचे?
ANS- माणा गाँव जाने के लिए आपको हरिद्वार-ऋषिकेश आना होगा और वहां से आप बस, टैक्सी या कार से हरिद्वार-ऋषिकेश-देवप्रयाग-श्रीनगर-रुद्रप्रयाग-गौचर-कर्णप्रयाग-नंदप्रयाग-बद्रीनाथ-जोशीमठ और फिर माना गाँव में पहुँच सकते हैं।