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Khait Parvat- उत्तराखंड में इस जगह आज भी रहती हैं परियां, पसंद आने पर ले जाती हैं अपने साथ

Khait Parvat Uttarakhand: देवभूमि कहा जाने वाला भारतीय राज्य उत्तराखंड अनेक रहस्यों से भरा हुआ है, यहाँ केदारनाथबद्रीनाथ, तुंगनाथ, मद्महेश्वर और ऐसे ही सैकड़ों मंदिर मिल जायेंगे जिनके रहस्य किसी को भी चौंका सकते है। उत्तराखंड को देवताओं की भूमि कहा जाता है, यहाँ के लोगों में भगवान के प्रति सबसे ज्यादा आस्था देखने को मिलती है।

khait parvat uttarakhand
Khait Parvat Uttarakhand

आज के आर्टिकल में हम आपको उत्तराखंड में स्थित एक ऐसे पर्वत के बारे में जानकारी देने वाले है जहाँ “परियों का निवास” है, यह स्थान उत्तराखंड के टिहरी जिले में पड़ता है, इस पर्वत को Khait Parvat के नाम से जाना जाता है और इस पूर क्षेत्र को “परियों का देश” कहा जाता है। एक मान्यता के अनुसार अगर कोई आदमी यहाँ जाता है और वो परियों को पसंद आ जाता है तो परियां उसे अपने साथ ले जाती हैं।

खैट पर्वत उत्तराखंड (Khait Parvat, Pariyon ka Desh Uttarakhand)

खैट पर्वत (Khait Parvat) समुद्रतल से लगभग 10,000 फीट की ऊंचाई पर उत्तराखंड के टिहरी जिले में स्थित है। मान्यता है कि इस इस पर्वत पर परियों का वास है, उत्तराखंड में परियों को गढ़वाली बोली में “आंछरी” कहा जाता है। पूरे उत्तराखंड में इन परियों को “वन देवियों” के रूप में पूजा जाता है। Khait Parvat, टिहरी जिले के घनस्याली में स्थित थात गाँव के नजदीक पड़ता है। माना जाता है की इस पर्वत पर अधिक शोर करना और चमकीले कपडे पहन कर जाना नहीं जाना चाहिए, अन्यथा परियां उन्हें अपने साथ ले जाती हैं।

खैट पर्वत संक्षिप्त जानकारी (Brief Information About Khait Parvat)

खैट पर्वतपरियों का देश
स्थानटिहरी, उत्तराखंड
ट्रेक5 km मुनस्यारी से
एंट्री फीसफ्री
घुमने का सबसे अच्छा समय12 महीने
नजदीकी रेलवे स्टेशनऋषिकेश रेलवे स्टेशन
नजदीकी एअरपोर्टजॉलीग्रांट एअरपोर्ट, देहरादून

खैट पर्वत का इतिहास/कहानी (Khait Parvat History/Story)

पौराणिक कहानियों में Khait Parvat के बारे में एक कहानी का उल्लेख मिलता है, इस कहानी के अनुसार टिहरी जिले के चोंदाणा गाँव में आशा रावत नामक एक जमीदार रहता था। आशा रावत की सात पत्नियाँ होने के बावजूद उसकी कोई संतान नहीं थी, उसे हमेशा एक ही बात सताती रहती थी की मेरे बाद मेरी जमीन-जायदाद का वारिश कौन होगा।

तब आशा रावत ने आठवीं शादी करने की सोची और थात गाँव के पंवार परिवार में आठवीं शादी की। इस शादी में बाद आशा रावत के घर में 9 कन्याओं का जन्म हुआ, जमीदार ने इन कन्याओं का नाम आशा रौतेली, बासा रौतेली, इंगला रौतेली, गर्धवा रौतेली, सतेई रौतेली, बरदेई रौतेली, कमला रौतेली, देवा रौतेली और बिगुला रौतेली रखा। माना जाता है कि इन कन्याओं के पास दैवीय शक्तियां थी। जन्म के मात्र 6 दिन में ही ये कन्याएं चलने लगी और केवल 6 वर्ष की आयु में अपने पिता से आभूषण और नए कपड़ों की मांग करने लगीं।

जब इन कन्याओं की आयु 12 वर्ष के करीब हुई तो इनका यौवन खिलने लगा, उसी समय गाँव में एक धार्मिक आयोजन (मंडाण) किया जा रहा था। ये सभी 9 बहने भी सज धज कर वहां गयी और गढ़वाली जागरों की धुन पर नाचने लगी। शाम हो गयी तो उन्होंने अपने घर की तरफ देखा वहां अँधेरा नजर आ रहा था जबकि Khait Parvat रंग बिरंगे फूलों से चमक रहा था. यह देखकर सभी 9 बहनें Khait Parvat की और चल दी।

रास्ते में वे अपने मामा के गाँव थात पहुंचे वहां भी अँधेरा था और Khait Parvat पर फूल चमक रहे थे, वहां से वो आगे बढे और Khait Parvat पहुँच गए। उस समय Khait Parvat पर कैटव नामक राक्षस का निवास था, यह राक्षस कन्याओं को कोई नुकसान न पहुंचाए इसलिए श्री कृष्ण ने अपनी शक्तियों से कैटव की मनस्थिति परिवर्तित कर दी और तब कैटव ने उन कन्याओं को अपनी बहन मानते हुए उनकी खूब सेवा की।

यहाँ से ये 9 कन्याएं पीड़ी पर्वत पहुंची, जहाँ श्री कृष्ण ने उन्हें “हर” (अपने वश में करना) लिया। तब से ये 9 दैवीय शक्तियों वाली कन्याएं khait Parvat और पीढ़ी पर्वत पर पूजी जाती हैं और माना जाता है कि ये कन्याएं अभी भी यहाँ विचरण करती हैं। और जो कोई भी आदमी यहाँ जाता है और उनको पसंद आ जाता है तो वो उसे हर लेती हैं और उसे अपने लोक ले जाती हैं।

चमकीले कपड़े पहनना और बांसुरी बजाना मना (Mysteries About Khait Parvat)

Uttarakhand में खैट पर्वत (Pariyon Ka Desh) से जुडी अनेक रहस्यमयी कहानियां हैं, उनमे से एक “जीतू बग्ड्वाल” की कहानी बहुत प्रसिद्द है। जीतू का जन्म Uttarakhand के बगोड़ी गाँव में एक गरीब परिवार में हुआ था, जीतू बहुत अच्छी बांसुरी बजाता था। जीतू की बांसुरी सुनकर कोई भी मंत्रमुग्ध हो जाता था।

जीतू अपनी बहिन की ननद भरणा से प्रेम करता था लेकिन एक-दूसरे के गाँव बहुत अधिक दूरी पर होने से वो बहुत ही कम मिल पाते थे। एक दिन वर्षा ऋतू आने पर जीतू अपनी बहन शोभना को बुलाने और अपनी प्रेमिका भरणा से मिलने बहन के ससुराल के लिए निकल पढ़ा।

रास्ता अधिक लम्बा होने की वजह से जीतू रास्ते में पढने वाले खैट पर्वत (Pariyon Ka Desh) में किसी एक स्थान पर बैठ गया और अपनी बांसुरी निकाल कर बजाने लगा। उसकी बांसुरी की आवाज इतनी प्यारी थी कि जंगल के सारे पशु-पक्षी मंत्रमुग्ध हो गए और जीतू की बांसुरी सुनने लगे। खैट पर्वत पर 9 आंछरी (परियों) का निवास था, वो सब भी जीतू की बांसुरी की धुन पर थिरकने लगी।

आंछरियां जीतू को अपने साथ ले जाना चाहती थी, जीतू के बहुत बार आग्रह करने पर भी वो नहीं मानी। अंत में जीतू ने खैट पर्वत (Pariyon Ka Desh) की आंछरियों से कहा की अभी मुझे अपनी बहन के ससुराल जाने दो, वापस आने के बाद तुम जो भी कहोगी में करने को तेयार हूँ। ऐसा सुनकर आंछरियां विलुप्त हो गयी। बाद में जब जीतू अपने खेत में रोपाई करने गया तो उसके सामने एक रथ आया जिसमे वही 9 बहन आंछरियां थी, उन्होंने जीतू को खेत से ही हर लिया और उसे अपने साथ ले गए।

माना जाता है की बाद में जीतू ने अदृश्य रूप में अपने परिवार की मदद की, और इस क्षेत्र के राजा ने जीतू की देवता के रूप में पूजे जाने की घोषणा की। तब से आज तक जीतू की याद में पहाड़ के गांवों में जीतू बगड्वाल का मंचन तथा नृत्य आयोजित किया जाता है। जो पहाड़ की अनमोल सांस्कृतिक विरासत है। बगुड़ी गाँव का होने के कारण बाद में जीतू को जीतू बग्ड्वाल के नाम से जाना जाने लगा।

स्थानीय लोगों का मानना है कि Khait Parvat पर जो कोई चमकीले कपडे पहन कर जाता है या वहां अधिक शोर मचाता है तो ये आंछरियां उसे अपने साथ ले जाते हैं, इसलिए Khait Parvat पर चमकीले कपडे पहनना और अधिक शोर करना मना है।

खैट पर्वत की ऊँचाई (Khait Parvat Height)

Uttarakhand के टिहरी जिले में स्थित “परियों का देश” कहा जाने वाला यह रहस्यमयी Khait Parvat समुद्रतल से 10,000 फीट की ऊँचाई पर स्थित है। खैट पर्वत (Pariyon Ka Desh) टिहरी जिले की सबसे ऊँची चोटी है।

खैट पर्वत कैसे पहुंचे? (How To Reach Khait Parvat?)

खैट पर्वत (Pariyon Ka Desh) पहुँचने के लिए सबसे पहले आपको हरिद्वार-ऋषिकेश पहुंचना होगा। ऋषिकेश सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है, यहाँ तक आपको देश के अधिकांश बड़े शहरों (दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता) से आसानी से ट्रेन की सुविधा उपलब्ध हो जाती हैं। ऋषिकेश या हरिद्वार पहुँचने के बाद आपको आगे का सफ़र बस, टैक्सी या कार से करना होगा, ऋषिकेश से आगे ट्रेन की सुविधा उपलब्ध नहीं है। हालाँकि उत्तराखंड में चार धाम रेल परियोजना पर तेजी से काम किया जा रहा है और यह काम लगभग 2025 तक पूरा हो जायेगा। फिर उत्तराखंड में चार धाम यात्रा और अन्य कोई भी यात्रा करना बहुत आसान हो जायेगा।

खैट पर्वत ट्रेक (Khait Parvat Trek)

Khait Parvat Trek
Khait Parvat Trek

खैट पर्वत का ट्रेक घनस्याली से 25 km की दूरी पर स्थित मुस्यारी से शुरू होता है, मुस्यारी से 5 km का ट्रेक करने पर खैट पर्वत (Pariyon Ka Desh) पहुंचा जाता है।

खैट पर्वत जाने का बेस्ट टाइम (Best Time To Visit Khait Parvat)

Khait Parvat साल के किसी भी महीने में जाया जा सकता है। यहाँ केदारनाथ या बद्रीनाथ जैसी विषम परिस्थितियां नहीं हैं, ट्रेक आसान है और यहाँ का तापमान नाहीं ज्यादा ठंडा और नाहीं ज्यादा गरम होता है। और केदारनाथ धाम की तरह मौसम हर वक्त बदलता नहीं रहता है। केवल जुलाई में मानसून के टाइम आप उत्तराखंड में घूमने की योजना न बनाएं।

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FAQs

Q- भारत में परियों का देश किसे कहा जाता है?

Ans- उत्तराखंड में स्थित खैट पर्वत के आस-पास के क्षेत्र को “परियों का देश” कहा जाता है। माना जाता है कि इस पर्वत पर परियां रहती हैं, जिन्हें गढ़वाली बोली में “आंछरी” कहा जाता है। और उत्तराखंड में in परियों को वन देवी के रूप में पूजा जाता है।

Q- खैट पर्वत कहाँ स्थित है?

Ans- खैट पर्वत उत्तराखंड के टिहरी जिले में स्थित है, इस पर्वत पर परियों का वास है।

Q- खैट पर्वत की ऊंचाई कितनी है?

Ans- खैट पर्वत समुद्रतल से 10,000 फीट की ऊँचाई पर उत्तराखंड के टिहरी जिले में स्थित है।

Q- खैट पर्वत पहुँचने के लिए कितना ट्रेक करना पढता है?

Ans- खैट पर्वत के लिए टिहरी जिले में घनस्याली से 25 km की दूरी पर स्थित मुनस्यारी से 5 km का ट्रेक करना पढता है।

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