मद्महेश्वर मंदिर (Madmaheshwar temple) उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू तीर्थ स्थल है। यह पंच केदार में से एक है और भगवान शिव को समर्पित है।
मद्महेश्वर मंदिर (Madmaheshwar temple) समुद्रतल से 3,497 (11473 फ़ीट ) मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और इसे आसपास की सुंदर और महान शिखरों से घिरा हुआ है। मद्महेश्वर मंदिर तक पहुंचने का सफ़र उनियाना बेस कैम्प से 16 किलोमीटर की कठिन ट्रेक है। ट्रेक आसान नहीं है, लेकिन हिमालय के बर्फ़ीले शिखरों की शानदार दृश्यों और प्रकृति की प्राकृतिक सुंदरता से यह सफ़र सबकुछ सुन्दर बन जाता है।
मद्महेश्वर मंदिर (Madmaheshwar temple) का निर्माण दौरे के दौरान आदि शंकराचार्य द्वारा किया गया था। यह मंदिर अपनी स्थानीय कला और वास्तु शैली के लिए जाना जाता है। इसके अंदर सुंदर भवन वास्तुकला वाले मंदिर होते हैं, जो भगवान शिव को समर्पित हैं।
मद्महेश्वर यात्रा 2024 (Madmaheshwar Yatra 2024)
मद्महेश्वर मंदिर (Madmaheshwar temple) उत्तराखंड में स्थित पंचकेदार में से एक है और इसे द्वितीय केदार कहा जाता है। यदि आप 2024 में मद्महेश्वर मंदिर की यात्रा करने की सोच रहे हैं, तो यहां कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं जो आपको ध्यान में रखने की आवश्यकता होगी:
- मद्महेश्वर धाम के कपाट 19 मई 2024 को खोले जायेंगे, जबकि तृतीय केदार तुंगनाथ बाबा के कपाट 10 मई 2024 को खुल जायेंगे।
- यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय बहुत ही ध्यान देने वाली बात है। मद्महेश्वरमंदिर में जाने के लिए, मई से जून और सितंबर से नवंबर के बीच का समय सबसे अधिक उपयुक्त होता है।
- मंदिर की यात्रा कठिन और फिजिकली चुनौतीपूर्ण हो सकती है। इसलिए, आपको यात्रा के लिए फिट रहना बहुत ही जरूरी है।
- मद्महेश्वर मंदिर (Madmaheshwar temple) तक पहुंचने के लिए, आपको सिर्फ ट्रैकिंग करना होगा। यह ट्रेक लगभग 20 किलोमीटर लम्बा है।
- आपको यात्रा के लिए उपयुक्त कपड़े और सामग्री लेने की आवश्यकता होगी। यह शामिल होता है ट्रैकिंग जूते, जैकेट, थर्मल इत्यादि।
- यात्रा के दौरान, आपको फोटोग्राफी, प्राकृतिक सौंदर्य और तपस्या का आनंद लेना चाहिए।
मद्महेश्वर महादेव का इतिहास (History of Madmaheshwar temple)
मद्महेश्वर मंदिर (Madmaheshwar temple) भगवान शिव को समर्पित है। मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि जब पांडवों ने कुरुक्षेत्र में कौरवों को हरा कर महाभारत का युद्ध जीता तो उन्हें अपने ही द्वारा अपने प्रियजनों का वध करने पर बड़ी पीड़ा पहुंची, इसलिए वो इस समस्या का समाधान पाने के लिए शिव की शरण में जाना चाहते थे लेकिन भोलेनाथ, पांडवो को दर्शन नहीं देना चाहते थे। पांडवो से पीछा छुड़ाने के लिए भगवान शिव केदारनाथ आ गए लेकिन पांडव भी उनके पीछे पीछे वहीं आ पहुंचे।
तब भगवान शिव ने बैल का रूप धारण कर लिया अन्य बैलों के झुंड में घुस गए ताकि पांडव उन्हें पहचान न सकें लेकिन पांडवों ने इस बात को भांप लिया और महाबली भीम ने शिव को पकड़ने के लिए विशालकाय रूप धारण किया और उन्हें पकड़ने की कोशिश में भगवान शिव नीचे गिर गए और भीम के हाथ में बैल का कूबड़ आया और बाकी हिस्से गढ़वाल क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों में दिखाई दिए।
कूबड़ केदारनाथ (Kedarnath Temple History) में, मुख रुद्रनाथ में, हाथ/भुजाएं तुंगनाथ में, बाल कल्पेश्वर में और नाभि मदमहेश्वर में दिखाई दिए। ये सभी जगहें पंच केदार के नाम से जानी जाती हैं और हर वर्ष इन सभी मंदिरों के कपाट खुलते हैं और हज़ारों-लाखो की संख्या में यहां शिवभक्त पहुंचते हैं।
मद्महेश्वर मंदिर (Madmaheshwar temple) को वेदों में उल्लेख किया गया है और इसे पुरातन काल से शिव परिवार के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। मंदिर में शिवलिंग स्थापित है जो कि लगभग 500 साल पुराना है।
मद्महेश्वर मंदिर कपाट खुलने की तिथि (Madmaheshwar Temple Opening Date 2024)
चार धाम यात्रा के बाद अब पंचकेदार के कपाट खुलने की तिथि भी घोषित हो गयी है। द्वितीय केदार कहे जाने वाले मद्महेश्वर धाम के कपाट 19 मई 2024 को खुलेंगे। कपाट खुलने के बाद आप मद्महेश्वर मंदिर जा सकते हैं और भगवान भोलेनाथ के दर्शन कर सकते हैं। बता दें मद्महेश्वर मंदिर (Madmaheshwar temple) में भगवान शिव की नाभि (पेट) की पूजा की जाती है।
मद्महेश्वर यात्रा करने का सबसे अच्छा समय (Best time to visit Madmaheshwar)
मद्महेश्वर धाम के कपाट खुलने के बाद यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय मई से जून तक का होता है। इस समय उत्तराखंड का मौसम शुष्क और सुहावना होता है और आसमान में नीले रंग के बादल होते हैं जो मद्महेश्वर यात्रा के लिए बहुत उपयुक्त होते हैं। मार्च और अप्रैल महीने भी यात्रा के लिए ठीक माने जाते हैं, लेकिन उन दिनों मंदिर के कपाट बंद रहते हैं और आपको ट्रेकिंग के लिए उचित स्थानों पर ठहरना होगा।
हालांकि, जुलाई-अगस्त के महीनों में मानसून के कारण मद्यमहेश्वर यात्रा ज्यादा उपयुक्त नहीं होती है। जल और भूमि के बढ़ते स्तर के कारण आपको अतिरिक्त जोखिम और कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
मद्महेश्वर महादेव यात्रा (Mahadev temple in Uttarakhand)
चार धाम यात्रा के जैसे ही हर साल द्वितीय केदार, मद्महेश्वर धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोले जाते हैं। इस साल मद्महेश्वर मंदिर (Madmaheshwar temple) के कपाट 19 मई 2024 को खुलेंगे। कपाट खुलने की तिथि से अगले 06 महीने तक श्रद्धालु मद्महेश्वर मंदिर में भगवान शिव के रूप के दर्शन कर सकते हैं।
मद्महेश्वर मंदिर ट्रेक (Madmaheshwar Trek)
मद्महेश्वर मंदिर (Madmaheshwar temple) पहुँचने के लिए 18 किलोमीटर का कठिन ट्रेक करना पड़ता है। इस ट्रेक की शुरुआत रांसी गाँव से होती है, रांसी से गोंडार गाँव तक ट्रेक काफी आसन और ढलान वाला है लेकिन गोंडार गाँव से असली ट्रेकिंग शुरू होती है। यहाँ से मद्महेश्वर मंदिर तक पहुँचने के लिए एकदम खड़ी चडाई है, इसीलिए इस ट्रेक को केदार्नत ट्रेक से भी मुश्किल माना जाता है।
मद्महेश्वर मंदिर (Madmaheshwar temple) के ट्रेक पर आपको बहुत सारे छोटे छोटे गांवों से होकर जाना पड़ता हैं, यहाँ आपको खाने और रहने की व्यवस्था उपलब्ध हो जाती है। इसके अलावा ट्रेक में आपको बहुत कम विश्रामगृह मिलेंगे और प्रशासन की और से भी कोई खास सुविधाएं उपलब्ध नहीं होती हैं।
इसलिए अगर आपको इतना लम्बा और चढाई वाला ट्रेक करने का अनुभव नहीं है तो आप अपनी यात्रा की शुरूआत तुंगनाथ जैसे कम कठिन ट्रेक से कर सकते हैं। आप मद्महेश्वर मंदिर (Madmaheshwar temple) का ट्रेक करने के लिए रांसी गाँव से खच्चर की सवारी से ट्रेक पूरा कर सकते हैं या फिर इस ट्रेक पर कोई गाइड अवश्य रखें।
बुढ़ा मध्यमहेशश्वर ट्रेक (Madmaheshwar Temple Trek)
बूढा मद्महेश्वर पहुँचने के लिए आपको मद्महेश्वर मंदिर (Madmaheshwar temple) से 1.5 किलोमीटर का ट्रेक करना होता है, बूढा मद्महेश्वर ट्रेक जंगल के बीच से होकर जाता है और इस ट्रेक में आपको प्रकृति के सुन्दर नज़ारे देखने को मिलते हैं। बूढा मद्महेश्वर पहुँचने के बाद सबसे सुंदर दृश्य चौखम्बा पर्वत का दिखाई देता है। हिमालय पर्वत श्रेणी में स्थित यह चौखम्बा पर्वत साल के अधिकांश महीनो में बर्फ से ढका रहता है और इस पर्वत को अपने इतने करीब देखने से ऐसा लगता है की हम हिमालय पर पहुँच गए हैं।
कैसे पहुंचें मद्महेश्वर मंदिर (How To Reach Madmaheshwar Temple in Hindi)
मद्महेश्वर धाम पहुँचने के लिए आपको सबसे पहले हरिद्वार या ऋषिकेश पहुंचना होगा वहां से आपको ट्रेन या हेलीकाप्टर की सुविधा नहीं मिलेगी। यहाँ से आपको अपनी यात्रा बस, टैक्सी या फिर कार से ही करनी होगी। हरिद्वार से आपको रुद्रप्रयाग के लिए आसानी से बस और टैक्सी मिल जाती है। रुद्रप्रयाग से रांसी गाँव तक आप गाडी से आ सकते हैं। रांसी से पैदल यात्रा शुरू होगी जो इस प्रकार रहेगी-
रांसी – गोंडार | 06 किलोमीटर |
गौंडार – बंतोली | 02 किलोमीटर |
बंतोली – ख़तारा खाल | 02 किलोमीटर |
ख़तारा खाल – नानू | 02 किलोमीटर |
नानू – मैखंबा | 03 किलोमीटर |
मैखंबा – मध्यमहेश्वर | 04 किलोमीटर |
मध्यमहेश्वर – बूढ़ा मध्यमहेश्वर | 1.5 किलोमीटर |
मद्महेश्वर मंदिर ट्रेन से कैसे पहुंचे (How To Reach Madmaheshwar Temple By Train)
मद्महेश्वर यात्रा ट्रेन से नहीं की जा सकती है, अभी चार धाम रेल परियोजना पर काम चल रहा है जो कि लगभग 2025 तक पूरा हो जायेगा, रेल परियोजना पूरी होने के बाद आप आसानी से चार धाम यात्रा और पंचकेदार यात्रा ट्रेन से कर सकते हैं।
अभी के लिए आपको हरिद्वार या ऋषिकेश तक ही ट्रेन की सुविधा उपलब्ध होगी। वहां से आगे आपको अपनी यात्रा बस, टैक्सी या कार से ही करनी होगी। हरिद्वार-ऋषिकेश से उखीमठ तक बस सेवा आसानी से उपलब्ध हो जाती है और उखीमठ से रांसी गाँव तक टैक्सी या कार सेवा उपलब्ध है। रांसी से आगे आपको पैदल यात्रा करनी पड़ेगी।
हवाई मार्ग से मद्महेश्वर कैसे पहुँचे (How To Reach Madmaheshwar Temple By Helicopter)
मद्महेश्वर मंदिर पहुँचने के लिए हवाई सेवाएं उपलब्ध नहीं हैं। आप देहरादून तक ही हवाई सेवा का आनंद ले सकते हैं। देहरादून से आगे आपको अपनी यात्रा बस, टैक्सी या चार से करनी होगी।
चार धाम यात्रा 2024 महत्वपूर्ण तिथियाँ (Char Dham Yatra Opening/Closing Dates)
Temple | Opening Dates | Closing Dates |
Gangotri | 10 May 2024 | – |
Yamunotri | 10 May 2024 | – |
Kedarnath | 10 May 2024 | – |
Badrinath | 12 May 2024 | – |
FAQs
Q. उत्तराखंड में स्थित पंचकेदार कौन से हैं?
ANS- केदारनाथ, रुद्रनाथ, तुंगनाथ, मद्महेश्वर, कल्पेश्वर उत्तराखंड में स्थित पंचकेदार हैं, जहाँ भगवान शिव के अलग-अलग रूपों की पूजा होती है।
Q. मद्महेश्वर ट्रेक कितने किलोमीटर का है?
ANS- रांसी गाँव से मद्महेश्वर मंदिर का ट्रेक लगभग 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यात्रा के दौरान आप यहाँ से घोड़े-खच्चर की सवारी कर सकते हैं या फिर पैदल ही यात्रा कर सकते हैं।
Q. मद्महेश्वर मंदिर कहाँ स्थित है?
ANS- मद्महेश्वर मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है और उत्तराखंड में स्थित पंचकेदार में से एक है।
Q. मद्महेश्वर मंदिर के कपाट 2024 में कब खुलेंगे?
ANS- मद्महेश्वर मंदिर के कपाट 19 मई 2024 को खुलेंगे।