Tungnath Temple History: इस साल तुंगनाथ मंदिर के कपाट 10 मई 2024 खुल गए हैं। मंदिर के कपाट खुलने की तिथि से 6 महीने तक श्रद्धालु तुंगनाथ यात्रा कर सकते हैं और भगवान शिव के दर्शन कर सकते हैं।
तुंगनाथ मंदिर, भगवान शिव को समर्पित है और उत्तराखंड में स्थित पंचकेदारों में से तृतीय केदार है, ये पंचकेदार केदारनाथ, रुद्रनाथ, तुंगनाथ, मद्महेश्वर और कल्पेश्वर हैं। इन सभी मंदिरों में भगवान शिव की पूजा की जाती है। Tungnath Temple उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में समुद्र तल से लगभग 3,680 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह मंदिर पूरी दुनिया में भगवान शिव के सभी मंदिरों में सबसे ऊंचाई पर स्थित है।
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तुंगनाथ मंदिर का इतिहास- Tungnath Temple History in Hindi
तुंगनाथ मंदिर उत्तराखंड, भगवान शिव को समर्पित है और यह चौखंबा शिखर पर स्थित है, जिसे दुनिया का सबसे ऊँचा शिखर माना जाता है। मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि जब पांडवों ने कुरुक्षेत्र में कौरवों को हरा कर महाभारत का युद्ध जीता तो उन्हें अपने ही द्वारा अपने प्रियजनों का वध करने पर बड़ी पीड़ा पहुंची, इसलिए वो इस समस्या का समाधान पाने के लिए शिव की शरण में जाना चाहते थे लेकिन भोलेनाथ, पांडवो को दर्शन नहीं देना चाहते थे। पांडवो से पीछा छुड़ाने के लिए भगवान शिव केदारनाथ आ गए लेकिन पांडव भी उनके पीछे पीछे वहीं आ पहुंचे।
तब भगवान शिव ने बैल का रूप धारण कर लिया और अन्य बैलों के झुंड में घुस गए ताकि पांडव उन्हें पहचान न सकें लेकिन पांडवों ने इस बात को भांप लिया और महाबली भीम ने शिव को पकड़ने के लिए विशालकाय रूप धारण किया और उन्हें पकड़ने की कोशिश में भगवान शिव नीचे गिर गए और भीम के हाथ में बैल का कूबड़ आया और बाकी हिस्से गढ़वाल क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों में दिखाई दिए।
बैल रुपी भगवान शिव का कूबड़ केदारनाथ, में, मुख रुद्रनाथ में, हाथ/भुजाएं तुंगनाथ, में, बाल कल्पेश्वर में और नाभि मद्महेश्वर में दिखाई दिए। ये सभी जगहें पंच केदार के नाम से जानी जाती हैं और हर वर्ष इन सभी मंदिरों के कपाट खुलते हैं और हज़ारों-लाखो की संख्या में यहां शिवभक्त पहुंचते हैं।
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तुंगनाथ मंदिर रुद्रप्रयाग की स्थापना- Tungnath Temple construction
तुंगनाथ मंदिर की स्थापना 8वीं शताब्दी में हुई थी जब आदि शंकराचार्य ने यहाँ पर शिवलिंग स्थापित किया था। मंदिर में शंकराचार्य का चित्र भी स्थापित है जो मंदिर के समक्ष बैठे हुए हैं।तुंगनाथ मंदिर कई बार तबाही से गुजरा है, लेकिन हर बार फिर से इसे नयी शक्ति मिली है। तुंगनाथ मंदिर 1000 साल पुराना और सर्वप्रथम पांडवों द्वारा निर्मित माना जाता है।
तुंगनाथ मंदिर चोपता ट्रेक- Tungnath Temple Trek
तुंगनाथ मंदिर, चोपता हिल स्टेशन से 3.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यात्रा के दौरान आप यहाँ से घोड़े-खच्चर की सवारी कर सकते हैं या फिर पैदल ही यात्रा कर सकते हैं। इसके समीप नंदापर्वत, कृष्णपर्वत, चंद्रशिला, त्रिशूल और पंचचुला पर्वत हैं।
चंद्रशिला ट्रेक- Chandrashila Trek Chopta in Hindi
तुंगनाथ मंदिर पहुँचने के बाद चंद्रशिला ट्रेक (Chandrashila Trek) 1 किलोमीटर है। जबकि चोपता से चंद्रशिला का ट्रेक लगभग 5 किलोमीटर है।चंद्रशिला पहुँचने का रास्ता थोडा मुश्किल और चढ़ाई वाला है, हालाँकि यहाँ पहुँचने के बाद आपको प्रकृति की खूबसूरती का आनंद उठाने को मिलेगा और आप अपनी सारी थकान और चंद्रशिला तक पहुँचने में हुई कठिनाइयों को भूल जायेंगे।
इस ट्रेक का मुख्य उद्देश्य तुंगनाथ मंदिर और चंद्रशिला पर्वत के शिखर तक पहुंचना है। यह ट्रेक आपको हिमालय की सुंदरता का आनंद लेने का मौका देता है।
तुंगनाथ मंदिर का मौसम- Tungnath Temple Temperature
तुंगनाथ मंदिर का मौसम (Tungnath Temple Temperature) आमतौर पर जून से अक्टूबर तक शानदार होता है। इन महीनों में यहां का मौसम मध्यम रहता है और तुंगनाथ मंदिर की पर्यटकों को खूबसूरत दृश्यों से लबालब भरपूर नज़ारे प्रदान करता है।
दिसंबर से मार्च तक की अवधि में यहां तेज ठंड और बर्फ का प्रकोप रहता है, इसलिए इस समय यहां जाना अधिक चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
अप्रैल-मई के महीनों में मंदिर जाने के लिए बहुत उपयुक्त होते हैं क्योंकि इस समय मौसम बेहद सुहावना रहता है। इस मौसम में दृश्य आकर्षक होते हैं और यहां ट्रेकिंग का भी अधिक मजा आता है।
तुंगनाथ मंदिर कपाट खुलने की तिथि- Tungnath Temple Opening Date 2024 in Hindi
हर वर्ष तुंगनाथ मंदिर के कपाट (Tungnath Temple Opening date 2024) 6 माह के लिए सभी श्रद्धालुओं के लिए खोले जाते हैं. इस दौरान आप तुंगनाथ मंदिर में भगवान शिव के दर्शन के लिए जा सकते हैं. इस साल तुंगनाथ मंदिर के कपाट 10 मई 2024 खुल गए हैं। मंदिर के कपाट खुलने की तिथि से 6 महीने तक श्रद्धालु तुंगनाथ यात्रा कर सकते हैं और भगवान शिव के दर्शन कर सकते हैं।
अधिक ऊंचाई पर होने के कारण मंदिर के कपाट एक निश्चित अन्तराल के लिए खोले जाते हैं और सर्दियों के समय भगवान शिव के प्रतिमा को निकट के गाँव मक्कू में स्थानांतरित किया जाता है। अगले 6 महीने तक मक्कू गाँव में ही तुंगनाथ बाबा की पूजा की जाती है।
तुंगनाथ मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय- Best Time To Visit Tungnath Temple In Hindi
तुंगनाथ मंदिर की यात्रा मई से जून के बीच सबसे ज्यादा तीर्थयात्री करते हैं। अगर आप कम भीड़ में यात्रा करना चाहते हैं तो आपको सितम्बर से नवंबर के बीच यात्रा करनी चाहिए इस समय मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या बहुत कम हो जाती है और आप आसानी से मंदिर दर्शन के साथ-साथ आस पास के वातावरण का भी आनंद ले सकते हैं।
जुलाई-अगस्त में मानसून के समय तीर्थयात्रियों को यात्रा करने से बचना चाहिए। मानसून के समय उत्तराखंड में अधिक बारिश के चलत्ते बहुत सारी प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ता है। मानसून के समय सडकों के स्थिति बहुत ख़राब हो जाती है और अनेक दुर्घटनाएं भी देखने को मिलती हैं। यदि आप बर्फ देखने के सौकीन हैं और बर्फ का आनंद लेना चाहते हैं तो आपको दिसम्बर से फरवरी के बीच तुंगनाथ जाना चाहिए। इस समय यहाँ की पूरी चोटियाँ बर्फ से ढकी रहती हैं, लेकिन इस समय मंदिर के कपाट बंद हो सकते हैं। इस समय आपको मंदिर दर्शन का मौका शायद ही मिल सकता है।
तुंगनाथ मंदिर कैसे पहुंचे?- How To Reach Tungnath Temple in Hindi
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित तुंगनाथ मंदिर में आप निम्नलिखित तरीकों से पहुंच सकते हैं:
ट्रेन से तुंगनाथ कैसे पहुंचें- How To Reach Tungnath Temple By Train in Hindi)
Tungnath Yatra या Char Dham Yatra 2024 के लिए रेल परियोजना पर काम चल रहा है जो की लगभग 2025-26 तक पूरा हो सकता। अभी के लिए आप केवल हरिद्वार या ऋषिकेश तक ट्रेन से आ सकते हैं, यहाँ से आगे की यात्रा आपको बस, टैक्सी और कार से करनी होगी, जो की आपको आसानी से उपलब्ध हो जाएँगी।
फ्लाइट से तुंगनाथ कैसे पहुंचे? – How To Reach Tungnath Temple By Flight in Hindi
यदि आप फ्लाइट से तुंगनाथ मंदिर की यात्रा करना चाहते हैं तो अभी के लिए ये संभव नहीं है, तुंगनाथ मंदिर से निकटतम हवाई अड्डा जॉलीग्रांट, देहरादून है. जॉलीग्रांट तक आप देश के अधिकांश बड़े शहरों से फ्लाइट से यात्रा कर सकते हैं. देहरादून से टैक्सी या बस के जरिए आप गुप्तकाशी तक की यात्रा कर सकते हैं। गुप्तकाशी से तुंगनाथ मंदिर टैक्सी, जीप या बस से पहुंचा जा सकता है।
रुद्रप्रयाग से तुंगनाथ यात्रा (Rudraprayag To Tungnath): रुद्रप्रयाग से तुंगनाथ मंदिर केवल टैक्सी या जीप के जरिए ही पहुंचा जा सकता है।
दिल्ली से तुंगनाथ यात्रा (Delhi To Tungnath): नई दिल्ली से हरिद्वार तक ट्रेन या बस के जरिए यात्रा कर सकते हैं। फिर आप हरिद्वार से राजमार्ग के माध्यम से गुप्तकाशी तक की यात्रा कर सकते हैं। गुप्तकाशी से तुंगनाथ मंदिर टैक्सी, जीप या बस से पहुंचा जा सकता है।
बाइक से तुंगनाथ यात्रा (Tungnath Yatra By Bike): बाइक से तुंगनाथ मंदिर पहुंचना एक बहुत ही रोमांचक अनुभव होता है। आपको ऋषिकेश से बाइक किराए पर मिल सकती हैं या फिर आप अपनी बाइक से यात्रा कर सकते हैं और इस खूबसूरत सफर का आनंद उठा सकते हैं।
चार धाम यात्रा 2024 महत्वपूर्ण तिथियाँ- Char Dham Yatra Opening/Closing Dates
Temple | Opening Dates | Closing Dates |
Gangotri | 10 May 2024 | – |
Yamunotri | 10 May 2024 | – |
Kedarnath | 10 May 2024 | – |
Badrinath | 12 May 2024 | – |
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FAQs
Q. उत्तराखंड में स्थित पंचकेदार कौन से हैं?
ANS- केदारनाथ, रुद्रनाथ, तुंगनाथ, मद्महेश्वर, कल्पेश्वर उत्तराखंड में स्थित पंचकेदार हैं, जहाँ भगवान शिव के अलग-अलग रूपों की पूजा होती है।
Q. तुंगनाथ ट्रेक कितने किलोमीटर का है?
ANS- तुंगनाथ मंदिर, चोपता से 3.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यात्रा के दौरान आप यहाँ से घोड़े-खच्चर की सवारी कर सकते हैं या फिर पैदल ही यात्रा कर सकते हैं।
Q. तुंगनाथ मंदिर कितने साल पुराना है?
ANS- मान्यताओं के अनुसार तुंगनाथ मंदिर 1000 साल से भी अधिक पुराना है, इस मंदिर को सर्वप्रथम पांडवों द्वारा बनाया गया था।
Q. तुंगनाथ महादेव मन्दिर कहाँ स्थित है?
ANS- तुंगनाथ महादेव मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है, और यह मंदिर उत्तराखंड में स्थित पंचकेदार में से एक है।
Q. क्या तुंगनाथ मंदिर सर्दियों में भी खुला रहता है?
ANS- नहीं, तुंगनाथ बाबा के कपाट एक निश्चित समय के लिए खोले जाते हैं। सर्दियों के समय तुंगनाथ बाबा की डोली को निकटवर्ती गाँव मक्कू में लाया जाता है।
Q. तुंगनाथ मंदिर कितनी ऊंचाई पर स्थित है?
ANS- तुंगनाथ मंदिर समुद्र तल से लगभग 3,680 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और यह मंदिर पूरी दुनिया में भगवान शिव के सभी मंदिरों से सबसे ऊंचाई पर स्थित है।
Q. दुनियां में भगवान् शिव का सबसे ऊंचाई पर स्थित मंदिर कौन सा है?
ANS- तुंगनाथ मंदिर भगवान शिव का सबसे ऊंचाई पर स्थित मंदिर है। यह मंदिर समुद्र तल से लगभग 3,680 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
Q. तुंगनाथ मंदिर कैसे पहुंचें?
ANS- तुंगनाथ मंदिर पहुँचने के लिए आपको सबसे पहले हरिद्वार या ऋषिकेश पहुंचना होगा। वहां से आपको बस, टैक्सी, जीप या कार से यात्रा करनी होगी। तुंगनाथ पहुँचने के लिये आपको हरिद्वार-ऋषिकेश-श्रीनगर-रुद्रप्रयाग-गुप्तकाशी-तुंगनाथ आदि स्थानों से होकर जाना होगा।