Kalpeshwar Temple Uttarakhand, history, Location, Importance, Aarti, Opening/Closing dates, How To Reach Kalpeshwar, interesting facts, Hotels near temple.
मध्य हिमालय में स्थित उत्तराखंड राज्य भारत के सबसे धार्मिक स्थलों में से एक है। यहां हिंदू धर्म के अनेक प्रमुख मंदिर हैं जिनमें से एक है कल्पेश्वर महादेव मंदिर। यह मंदिर उत्तराखंड में चमोली जिले की उर्गम घाटी (Urgam Valley) में पड़ता है और उत्तराखंड में स्थित पंचकेदार (केदारनाथ, रुद्रनाथ, तुंगनाथ, मद्महेश्वर और कल्पेश्वर) में से अंतिम केदार है और पंचकेदारों में एकमात्र मंदिर है जो पूरे साल भर खुला रहता है।
समुद्रतल से लगभग 2200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और यहाँ भगवान शिव की (कल्प) जटाओं की पूजा की जाती है। इस मंदिर को आध्यात्मिक एवं प्राकृतिक सौंदर्य का उदाहरण माना जाता है। यहां हम कल्पेश्वर महादेव मंदिर के बारे में विस्तार से जानेंगे।
कल्पेश्वर मंदिर का इतिहास (Kalpeshwar Temple History)
कल्पेश्वर महादेव मंदिर (Kalpeshwar Temple) का इतिहास हजारों साल पुराना है। इस मंदिर को महाभारत काल से जोड़ा जाता है। मंदिर में शिवलिंग है जो अत्यंत पवित्र माना जाता है। इस मंदिर के नाम का उल्लेख महाभारत में भी मिलता है।
मान्यता है कि जब पांडवों ने कुरुक्षेत्र में कौरवों को हरा कर महाभारत का युद्ध जीता तो उन्हें अपने ही द्वारा अपने प्रियजनों का वध करने पर बड़ी पीड़ा पहुंची, इसलिए पांडवों ने इस समस्या का समाधान पाने के लिए शिव की शरण में जाना चाहा, लेकिन भोलेनाथ, पांडवो को दर्शन नहीं देना चाहते थे। पांडवो से पीछा छुड़ाने के लिए भगवान शिव केदारनाथ आ गए लेकिन पांडव भी उनके पीछे पीछे वहीं आ पहुंचे।
तब भगवान शिव ने बैल का रूप धारण कर लिया और अन्य बैलों के झुंड में घुस गए ताकि पांडव उन्हें पहचान न सकें लेकिन पांडवों ने इस बात को भांप लिया और महाबली भीम ने शिव को पकड़ने के लिए विशालकाय रूप धारण किया और उन्हें पकड़ने की कोशिश में भगवान शिव नीचे गिर गए और भीम के हाथ में बैल का कूबड़ आया जो कि केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह में आज भी मौजूद है। बाकी हिस्से गढ़वाल क्षेत्र के पांच विभिन्न हिस्सों में दिखाई दिए। उन सभी क्षेत्रों में आज भगवान शिव के मंदिर हैं और इन्ही पांच क्षेत्रों को पंचकेदार के नाम से भी जाना जाता है।
कूबड़ केदारनाथ में, मुख रुद्रनाथ में, हाथ/भुजाएं तुंगनाथ में, जटाएं/केश कल्पेश्वर में और नाभि मदमहेश्वर में दिखाई दिए। ये सभी जगहें पंच केदार के नाम से जानी जाती हैं और हर वर्ष इन सभी मंदिरों के कपाट खुलते हैं और हज़ारों-लाखो की संख्या में यहां शिवभक्त पहुंचते हैं।
कल्पेश्वर मंदिर की स्थापना
कल्पेश्वर महादेव मंदिर (Kalpeshwar Temple) का निर्माण पांडवों के समय में हुआ था। मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण भगवान शिव के भक्तों द्वारा किया गया था। यह मंदिर शैव धर्म का एक महत्वपूर्ण स्थल है जहां लोग भगवान शिव की पूजा करते हैं।
कल्पेश्वर मंदिर (Kalpeshwar Temple) की स्थापना शिवलिंग के स्थान पर की गई थी जो कि चमोली जिले की उर्गम घाटी में स्थित है। मंदिर में भगवान शिव की मूर्ति स्थापित है जिसे लोग श्रद्धापूर्वक पूजते हैं।
कल्पेश्वर मंदिर के महत्व (Kalpeshwar Temple Importance)
कल्पेश्वर महादेव मंदिर (Kalpeshwar Temple) का अत्यंत महत्व है। इस मंदिर में भगवान शिव की जटाओं की पूजा की जाती है और सभी पंचकेदारों में यह एकमात्र मंदिर है जिसके कपाट सभी श्रद्धालुओं के लिए पूरे साल भर खुले रहते हैं। यहाँ शिवलिंग को नित्य पूजा की जाती है और यहां सभी शिव भक्त अपनी-अपनी मांगों को लेकर आते हैं और भोलेनाथ सभी श्रद्धालुओं की मन्नतों को पूरा करते हैं।
कल्पेश्वर मंदिर के आस-पास क्या देखें (What to see near Kalpeshwar Temple)
कल्पेश्वर महादेव मंदिर के आस-पास कई चीजें हैं जो देखने लायक हैं। यहां कुछ ऐसी चीजें हैं जिन्हें देखना चाहिए।
- अलकनंदा नदी
- बद्रीनाथ मंदिर
- जोशीमठ
- भैरवनाथ मंदिर
- उर्गम घाटी
कल्पेश्वर मंदिर कैसे पहुंचें (How To Reach Kalpeshwar Temple)
निम्नलिखित माध्यमों से आप कल्पेश्वर मंदिर तक पहुँच सकते हैं-
सड़क से कल्पेश्वर यात्रा (How To Reach Kalpeshwar Temple By Road)
सड़क से कल्पेश्वर महादेव मंदिर पहुँचने की लिए आपको सबसे पहले ऋषिकेश या हरिद्वार पहुंचना होगा, यहाँ तक आप ट्रेन से पहुँच सकते हैं। ऋषिकेश सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है। ऋषिकेश आने के बाद आगे की यात्रा बस, टैक्सी या कार से करनी होगी।
ट्रेन से कल्पेश्वर यात्रा (How To Reach Kalpeshwar By Train)
अगर आप ट्रेन से कल्पेश्वर यात्रा करना चाहते हैं तो आपको बता दें ट्रेन से केवल ऋषिकेश (नजदीकी रेलवे स्टेशन-255km) या हरिद्वार तक की पहुंचा जा सकता है। यहाँ से आगे ट्रेन की सुविधा उपलब्ध नहीं है, आगे का सफ़र बस, कार या टैक्सी से की जा सकती है, जो कि आसानी से उपलब्ध हो जाती है।
ऋषिकेश-हरिद्वार या देहरादून तक पहुँचने के लिए देश के लगभग सभी बड़े शहरों जैसे- दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता आदि से ट्रेन आसानी से उपलब्ध हो जाती है
कल्पेश्वर मंदिर हवाई यात्रा (How To Reach Kalpeshwar By Helicopter)
अगर आप हवाई यात्रा करना चाहते हैं तो आपको देहरादून स्थित जॉलीग्रांट हवाई अड्डे (272 km) तक प्लेन से आ सकते हैं। यहाँ से आगे का सफ़र आपको बस, टैक्सी या कार से करना होगा।
यदि आप हरिद्वार से यात्रा शुरू करते हैं तो आपको आगे ऋषिकेश-देवप्रयाग-श्रीनगर-धारी देवी-रुद्रप्रयाग-गौचर-कर्णप्रयाग-नंदप्रयाग आदि मुख्य स्थानों से होकर सफ़र करना होगा, अंत आप प्रकृति के अत्यंत खूबसूरत नजारों का आनंद लेते हुए कल्पेश्वर महादेव मंदिर पहुँचते हैं।
कल्पेश्वर मंदिर की पूजा विधि (Kalpeshwar Temple Aarti)
कल्पेश्वर महादेव मंदिर में भगवान शिव की पूजा की जाती है। मंदिर में पूजा भांग, धूप, दीप आदि सामग्री से की जाती है। मंदिर में भगवान शिव मूर्ति स्थापित है जिसे लोग श्रद्धापूर्वक पूजते हैं। इस मंदिर में भक्तों की रुचि के अनुसार दूध, दही, मिष्ठान, फल आदि चढ़ाए जाते हैं।
कल्पेश्वर मंदिर ट्रेक (Kalpeshwar Temple Trek)
सभी पंचकेदारों में से एकमात्र कल्पेश्वर महादेव मंदिर की ट्रेकिंग सबसे आसान है, पहले कल्पेश्वर मंदिर तक पहुँचने के लिए 10 किलोमीटर का ट्रेक करना होता था, जो कि हेलंग से शुरू होकर उर्गम घाटी और देवग्राम होते हुए मंदिर तक पहुँचता था।
बाद में सरकार ने इस यात्रा को सरल और सुचारू बनाने के लिए देवग्राम गाँव तक रोड का निर्माण करवाया, अब देवग्राम गाँव तक कार, टैक्सी और बाइक से आसानी से जाया जा सकता है। देवग्राम गाँव से कल्पेश्वर मंदिर तक पहुंचने के लिए केवल 300-500 का ट्रेक करना पढता है। हालाँकि, कल्पेश्वर शिवलिंग तक पहुँचने के लिए आपको गुफा से होते हुए 1 किलोमीटर तक चलना होगा।
कल्पेश्वर मंदिर स्थापत्य कला (Kalpeshwar Temple Architecture)
कल्पेश्वर महादेव मंदिर एक छोटा सा मंदिर है, इस मंदिर में भगवान शिव की जटाओं की पूजा की जाती है। कल्पेश्वर शिवलिंग के दर्शन के लिए आपको 1 किलोमीटर गुफा के अन्दर चलना पड़ता है। इस शिवलिंग को अनादिनाथ कालेश्वर भी कहा जाता है।
कल्पेश्वर मंदिर में समीप ही कलेवर कुंड है, माना जाता है कि इस कुंड के जल को पीने से कई शारीरिक बीमारियाँ दूर हो जाती हैं।
कल्पेश्वर मंदिर समयावधि (Kalpeshwar Temple Timing)
Timing | From |
Temple Opening | 6 AM |
Temple Close | 7 PM |
Morning Aarti | 6 AM |
Evening Aarti | 6:30 PM |
कल्पेश्वर मंदिर के नजदीक होटल (Hotel Near Kalpeshwar Temple)
- तत्त्व रिसोर्ट (The Tattva Resort)
- मोनाल रिसोर्ट (Monal Resort)
- मंदाकनी होटल (Hotel Mandakini)
कल्पेश्वर मंदिर के बारे में रोचक तथ्य (Interesting Facts About Kalpeshwar Temple)
- कल्पेश्वर महादेव मंदिर, बद्रीनाथ धाम से कुछ ही दूरी पर स्थित है, आप बद्रीनाथ यात्रा के दौरान कल्पेश्वर मंदिर जा सकते हैं।
- कल्पेश्वर मंदिर के समीप ही कल्प्गंगा नदी बहती है, पहले इस नदी को हिरण्यवती नदी के नाम से जाना जाता था।
- कल्पगंगा के दायीं ओर एक खूबसूरत तट है, जिसे दुर्वासा भूमि कहा जाता है।
- कल्पेश्वर मंदिर, पंचकेदार में से अंतिम केदार है।
- पंचकेदारों में से एकमात्र कल्पेश्वर महादेव मंदिर के कपाट पूरे साल भर खुले रहते हैं।
- इस मंदिर में आपको चारों तरफ से पहाड़ों की अद्भुत वादियों का नजारा देखने को मिलता है।
- मंदिर के निकट ही कल्पेश्वर जंगल राष्ट्रीय उद्यान है जो कि अनेक प्रजातियों के जानवरों और पक्षियों का निवास स्थान है।
कल्पेश्वर मंदिर यात्रा के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें
- कल्पेश्वर मंदिर उत्तराखंड में स्थित है जो एक पर्वतीय क्षेत्र है। इसलिए यात्रा के दौरान ठंड, बारिश आदि के लिए तैयार रहें।
- यात्रा के दौरान आपके लिए सुविधाजनक जूते, रखने वाली बैग, जैकेट, हैट आदि ले जाना जरूरी है।
- यात्रा के दौरान आपके पास उपयोगी सामान का पर्याप्त स्टॉक होना चाहिए। अपने पास पानी की एक बोतल अवश्य रखें।
- मंदिर यात्रा के दौरान ध्यान रखें कि आप खुद को पर्वतीय दृश्यों से सुरक्षित रखें। जीवन की जोखिमों से बचने के लिए ध्यान रखें।
- यात्रा के दौरान अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें। ठंड, ऊब या ऊष्मा के कारण आप बीमार पड़ सकते हैं। अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना बहुत आवश्यक है।
- मंदिर यात्रा के दौरान संगीत, धुम-धाम, धमाके आदि करने से बचें। यह आपकी यात्रा को दुर्घटनाओं से बचा सकता है।
- मंदिर यात्रा के दौरान सभी स्थानों को साफ और स्वच्छ रखें। इससे आप स्थानीय लोगों के और वातावरण के प्रति अधिक संवेदनशील बनेंगे।
- अपनी यात्रा को अच्छी तरह से विनम्रता और सम्मान के साथ समाप्त करें। यह आपके लिए और आपके परिवार के लिए एक अच्छा अनुभव होगा।
- कल्पेश्वर महादेव मंदिर उत्तराखंड में स्थित होने के कारण, यह आकर्षक स्थल है जो प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ आध्यात्मिकता का एक स्थान भी है। यहां आने वाले लोगों को एक शानदार अनुभव मिलता है जो उन्हें जीवन के उद्देश्य के बारे में सोचने और उन्हें आत्म-शान्ति और शक्ति प्रदान करने के लिए प्रेरित करता है।
इसलिए, यदि आप उत्तराखंड के कल्पेश्वर महादेव मंदिर की यात्रा पर जाने का फैसला कर रहे हैं, तो आप अपनी यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए ऊपर दिए गए सुझावों का पालन कर सकते हैं। जब आप इस तीर्थस्थल पर होंगे, तो आपको यहां का वास्तविक अर्थ महसूस होगा।
चार धाम यात्रा 2024 महत्वपूर्ण तिथियाँ (Char Dham Yatra 2024 Opening Dates)
Temple | Opening Dates | Closing Dates |
Gangotri | 10 May 2024 | – |
Yamunotri | 10 May 2024 | – |
Kedarnath | 10 May 2024 | – |
Badrinath | 12 May 2024 | – |
FAQs
Q- कल्पेश्वर मंदिर कहां है?
Ans- कल्पेश्वर मंदिर, उत्तराखंड में चमोली जिले की उर्गम घाटी में स्थित है।
Q- कल्पेश्वर मंदिर के कपाट कब खुलते हैं?
Ans-कल्पेश्वर महादेव मंदिर के कपाट पूरे साल भर खुले रहते हैं, सभी पंचकेदारों में यह एकमात्र मंदिर है जो वर्ष के 12 महीने खुला रहता है।
Q- कल्पेश्वर मंदिर में आरती का समय क्या है?
Ans-कल्पेश्वर महादेव मंदिर में सुबह की आरती 6 बजे और शाम की आरती 6:30 बजे होती है।
Q- कल्पेश्वर मंदिर कैसे पहुंचे?
Ans- हवाई यात्रा:- देहरादून तक (जॉलीग्रांट एअरपोर्ट 272 km)
ट्रेन से:- ऋषिकेश तक (252 km)
रोड से:- ऋषिकेश-हरिद्वार से बस, कार और टैक्सी से अपनी यात्रा कर सकते हैं।