Kalimath Temple: उखीमठ से केवल 20 km की दूरी पर स्थित है, माँ काली को समर्पित इस मंदिर में काली माता की कोई मूर्ती नहीं है बल्कि यहाँ माँ काली के एक श्री यंत्र की पूजा की जाती है। इस यंत्र को नवरात्री के आठवें दिन मंदिर से बाहर निकाला जाता है और मंदिर के मुख्य पुजारी द्वारा ही आधी रात को श्री यंत्र की पूजा की जाती है। कालीमठ मंदिर उत्तराखंड 108 शक्तिपीठों में से एक है।
समुद्रतल से 1800 मीटर की ऊँचाई पर स्थित यह एकमात्र ऐसा मंदिर है जहाँ माँ काली के साथ-साथ उनकी बहनों माँ लक्ष्मी और माँ सरस्वती के मंदिर भी देखने को मिलते हैं। साथ ही साथ यहाँ भगवान शिव, भैरवनाथ आदि अन्य देवताओं के मंदिर भी एक साथ देखने को मिलते हैं, सरस्वती नदी के तट पर स्थित यह कालीमठ मंदिर उत्तराखंड (Kalimath Temple, Rudraprayag) यहाँ आने वाले भक्तों को एक अलग प्रकार का अनुभव दिलाता है। भक्त यहाँ नदी के किनारे बैठ कर इस शांतिपूर्ण वातावरण का आनंद लेते हैं।
कालीमठ मंदिर संक्षिप्त जानकारी- Kalimath Temple Brief Information
स्थान | कालीमठ (उखीमठ से 20 km की दूरी) |
ट्रेक | नहीं (100 मीटर) |
प्रवेश शुल्क | नहीं |
ऊँचाई | 1800 मीटर |
नदी | सरस्वती नदी, मंदाकनी नदी |
नजदीकी रेलवे स्टेशन | ऋषिकेश (187 km) |
नजदीकी एअरपोर्ट | जॉलीग्रांट एअरपोर्ट, देहरादून (228 km) |
कैसे पहुंचें? | फ्लाइट, ट्रेन, बस |
कालीमठ मंदिर का इतिहास- Kalimath Temple History in Hindi
केदारखंड में मंदाकनी नदी के बाईं तरफ सरस्वती नदी के पावन तट पर प्राचीन सिद्धपीठ कालीमठ मंदिर स्थित है। यहाँ पर श्री महाबली, महालक्ष्मी, महासरस्वती गौरीशंकर, सिद्धेश्वर महादेव एवं श्री भैरवनाथ जी के प्राचीन मंदिर विद्यमान हैं।
कालीमठ मंदिर उत्तराखंड के इतिहास और कहानी को लेकर मान्यता है देवताओं ने इसी स्थान पर काली माँ की उपासना की थी, उपासना से प्रसन्न होकर देवी ने देवताओं को वरदान दिया। उस समय देत्याधिपति रक्त बीज नामक राक्षस का प्रभाव तीनो लोकों में व्याप्त था, माँ काली ने इसी स्थान पर रक्तबीज नामक राक्षस का वध किया था और यहीं पर महाकाली मंदिर के गर्भ गृह में समां गयीं, तब से यहाँ पर महाकाली श्री यंत्र की पूजा की जाती है।
कालीमठ मंदिर कहानी- Kalimath Temple Story in Hindi
कालीशिला और कालीमठ माँ भगवती की असीमित शक्तिपुंज के रूप में स्थित है । कालीशिला माँ काली का प्रकाट्य स्थल है जो कालीमठ माँ के अंतर्ध्यान स्थल के रूप में विख्यात है। कालीमठ सरस्वती नदी के किनारे स्थित है। विश्वास है कि माँ दुर्गा शुंभ-निशुंभ और रक्तबीज का संहार करने के लिए कालीशिला में 12 वर्ष की कन्या के रूप में प्रकट हुई थीं। कालीशिला में देवी-देवताओं के 64 यंत्र हैं।
मान्यता है कि इस स्थान पर शुंभ-निशुंभ दैत्यों से परेशान देवी-देवताओं ने माँ भगवती की तपस्या की थी। तब माँ प्रकट हुई। असुरों के आतंक के बारे में सुनकर माँ का शरीर क्रोध से काला पड़ गया और उन्होंने विकराल रूप धारण कर लिया। मां ने युद्ध में दोनों दैत्यों का संहार कर दिया। माँ को इन्हीं 64 यंत्रों से शक्ति मिली थी।
स्थानीय निवासीओं के अनुसार, यह भी किवदंती है कि माता सती ने पार्वती के रूप में दूसरा जन्म इसी शिलाखंड में लिया था। वहीं, कालीमठ मंदिर के समीप मां ने रक्तबीज का वध किया था। उसका रक्त जमीन पर न पड़े, इसलिए महाकाली ने मुंह फैलाकर उसके रक्त को चाटना शुरू किया। रक्तबीज शिला नदी किनारे आज भी स्थित है। इस शिला पर माता ने उसका सिर रखा था।
कालीमठ मंदिर में एक कुंड है, जो रजत पट / श्रीयंत्र से ढका रहता है। शारदीय नवरात्रों में अष्टमी को इस कुंड को खोला जाता है। मान्यता है कि जब महाकाली शांत नहीं हुईं, तो भगवान शिव मां के चरणों के नीचे लेट गए। जैसे ही महाकाली ने शिव के सीने में पैर रखा वह शांत होकर इसी कुंड में अंतर्ध्यान हो गईं। माना जाता है कि महाकाली इसी कुंड में समाई हुई हैं। कालीमठ में शिव-शक्ति स्थापित हैं। यहां पर महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती, गौरी मंदिर और भैरव मंदिर स्थित हैं। यहां अखंड ज्योति निरंतर जल रही है।
महाकवि कालिदास की जन्मस्थली- Birth Place Of Mahakavi Kalidas
महाकाली मंदिर (Kalimath Temple) में प्रज्ज्वलित तीन युग से अखंड धुनी है इसमें नित्य होम किया जाता है, इसी स्थान पर माँ सरस्वती के वरद पुत्र विश्व विख्यात महाकवि कालिदास जी को विद्या प्राप्त हुई, इनकी जन्मस्थली सिद्धपीठ कालीमठ के निकट 5 km की दूरी पर कविल्ठा ग्राम में है।
पास में है माँ लक्ष्मी और माँ सरस्वती के मंदिर- Goddess Lakshmi And Saraswati Temple Near Kalimath
पूरे देशभर में केवल कालीमठ में ही माँ काली और उनकी बहनों माँ लक्ष्मी और माँ सरस्वती के मंदिर साथ में देखने को मिलते हैं। नवरात्री के समय कालीमठ मंदिर में बहुत बड़ी संख्या में भक्त पहुँचते हैं और माँ काली, माँ लक्ष्मी और माँ सरस्वती की पूजा करते हैं। कालीमठ मंदिर में सभी भक्त कच्चा नारियल, चूड़ी, बिंदी, दर्पण, कंघी और चुनरिया आदि चीजों को काली माता को अर्पित करते हैं ।
कालीमठ मंदिर कैसे पहुंचे ?- How To Reach Kalimath Temple in Hindi
Kalimath Temple केवल बस, टैक्सी, कार या बाइक से पहुंचा जा सकता है। हालाँकि, हरिद्वार-ऋषिकेश तक आप ट्रेन और देहरादून तक आप फ्लाइट से भी यात्रा कर सकते हैं। उस से आगे की यात्रा बस, टैक्सी और कार से ही की जा सकती है, जोकि आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं।
हरिद्वार से कालीमठ मंदिर पहुँचने के लिए आपको हरिद्वार-ऋषिकेश-तीन धारा-देवप्रयाग-श्रीनगर-धारीदेवी-रुद्रप्रयाग-अगस्त्यमुनि-चन्द्रपुरी-उखीमठ मुख्य पड़ावों से होकर जाना पड़ता है। उखीमठ से केवल 20 km की दूरी पर ही कालीमठ मंदिर उत्तराखंड (Kalimath Temple) स्थित है।
फ्लाइट से कालीमठ मंदिर कैसे पहुंचे- Kalimath Temple By Flight in Hindi
अगर आप फ्लाइट से कालीमठ मंदिर पहुंचना चाहते हैं तो आपको बता दें भारत के अधिकांश बड़े शहरों (दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता) से देहरादून स्थित जॉली ग्रांट एअरपोर्ट के लिए फ्लाइट उपलब्ध हो जाती है। यहाँ से आगे का सफ़र आपको बस, टैक्सी या कार से ही करना होता होता है, जो आपको रुद्रप्रयाग मेन मार्केट तक ले कर जायेंगे। रुद्रप्रयाग से आपको 1 या 2 बार टैक्सी बदलनी पढ़ सकती है।
ट्रेन से कालीमठ मंदिर- Kalimath Temple By Train in Hindi
अगर आप उत्तराखंड घूमना चाहते हैं तो आपको ये बात अवश्य पता होनी चाहिए कि यहाँ आपको ट्रेन की सुविधा केवल हरिद्वार-ऋषिकेश या देहरादून तक ही मिलेगी। ऋषिकेश (187 km) कालीमठ मंदिर उत्तराखंड से सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है। यहाँ से आगे आपको बस, टैक्सी या कार से जाना होगा। अधिकांश लोग बस से घूमना ज्यादा पसंद करते हैं, बस का किराया, टैक्सी या कार के मुकाबले थोडा कम रहता है और लम्बे सफ़र का आनंद बस में ज्यादा आता है।
उत्तराखंड में चार धाम रेल परियोजना पर काम चल रहा है, यह काम लगभग 2025 तक पूरा हो जायेगा तब आप उत्तराखंड में कहीं भी ट्रेन से यात्रा कर सकते हैं।
बस से कालीमठ मंदिर कैसे पहुंचें- Kalimath Temple By Bus in Hindi
Kalimath Temple पहुँचने का सबसे अच्छा माध्यम बस से यात्रा करना है। अधिकांश यात्री बस से ही चार धाम यात्रा या कोई भी अन्य यात्रा करना पसंद करते हैं। हरिद्वार-ऋषिकेश (187 km) से बस आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं।
कालीमठ मंदिर ट्रेक- Kalimath Temple Trek
कालीमठ मंदिर उत्तराखंड पहुँचने की लिए आपको कोई ट्रेक नहीं करना पढ़ता है, मंदिर के गेट तक गाड़ी जाती है। गेट से लगभग 100-200 मीटर ही आपको पैदल चलना है और आप मंदिर में पहुँच जाते हैं।
कालीमठ मंदिर की ऊंचाई- Kalimath Temple Height in Hindi
Kalimath Temple समुद्रतल से 1463 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। मंदिर ऊँचे-ऊँचे पहाड़ों से घिरा है और मंदिर के के बगल से मंदाकनी नदी बहती है जो मंदिर की शोभा और अधिक बढ़ा देती है।
कालीमठ मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय- Best Time To visit Kalimath Temple in Hindi
आप साल के किसी भी माह में कालीमठ मंदिर जा सकते हैं, मंदिर पूरे साल भर भक्तों के लिए खुला रहता है। हालाँकि अगर आप नवरात्री के समय कालीमठ मंदिर पहुँचते हैं तो यह आपके लिए सबसे उचित समय होगा। नवरात्री के आठवें दिन महाकाली के श्री यंत्र को बाहर निकालकर पूजा की जाती है।
कालीमठ मंदिर स्थान और स्थिति- Kalimath Temple Location
कालीमठ मंदिर, उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। यह मंदिर केदारनाथ मार्ग पर उखीमठ के ओम्कारेश्वर मंदिर से लगभग 20 km की दूरी पर स्थित है।
कालीमठ मंदिर खुलने और बंद होने का समय- Kalimath Temple Timings
Kalimath Temple माँ काली के भक्तों के लिए पूरे दिन भर खुला रहता है, आप सुबह से शाम किसी भी समय मंदिर में आकर काली माता के श्री यंत्र के दर्शन और पूजा कर सकते हैं। प्रतिदिन इस मंदिर में सैकड़ों भक्त माँ काली और पास में स्थित मंदिरों में अन्य देवी-देवताओं के दर्शन करते हैं।
कालीमठ मंदिर प्रवेश शुल्क (Kalimath Temple Entry Fee)
उत्तराखंड के अधिकांश मंदिरों और पर्यटक स्थलों की भांति ही कालीमठ मंदिर उत्तराखंड में भी भक्तों से कोई भी प्रवेश शुल्क नहीं लिया जाता है।
कालीमठ मंदिर नजदीकी नदी- River Near Kalimath Temple Uttarakhand
प्राचीन सिद्धपीठ कालीमठ मंदिर, केदारखंड में मन्दाकिनी नदी के बायीं ओर सरस्वती नदी के पावन तट पर स्थित है। मंदिर के समीप नदी होने से मंदिर को ओर पर्यटकों और श्रद्धालुओं का आकर्षण और बढ़ जाता है और नदी आस-पास के दृश्य को और भी अधिक मनोरम बना देती है।
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FAQs
Q- कालीमठ मन्दिर कहाँ है?
Ans- कालीमठ मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। यह मंदिर केदारनाथ जाने वाले मार्ग में उखीमठ ओम्कारेश्वर मंदिर से लगभग 20 km की दूरी पर स्थित है।
Q- कालीमठ मंदिर कैसे पहुंचे?
Ans- कालीमठ मंदिर उत्तराखंड पहुँचने के लिए ऋषिकेश तक आप ट्रेन से आ सकते हैं और फ्लाइट से देहरादून स्थित जॉलीग्रांट एअरपोर्ट तक आ सकते हैं, ऋषिकेश से आगे का सफ़र बस, टैक्सी या कार से करना होता है। कालीमठ मंदिर पहुचने के लिए आपको ऋषिकेश-देवप्रयाग-श्रीनगर-धारीदेवी-रुद्रप्रयाग-अगस्त्यमुनि-चंद्रापुरी-उखीमठ आदि स्थानों से होकर जाना होता है तब जाकर आप कालीमठ मंदिर पहुँचते हैं।
Q- कालीमठ मंदिर कितनी ऊँचाई पर स्थित है?
Ans- कालीमठ मंदिर की ऊँचाई समुद्रतल से 1800 मीटर है।
Q- कालीमठ मंदिर के नजदीक और कौन-कौन से मंदिर हैं?
Ans- कालीमठ में माँ काली के साथ-साथ यहाँ पर श्री महाबली, महालक्ष्मी, महासरस्वती गौरीशंकर, सिद्धेश्वर महादेव एवं श्री भैरवनाथ जी के प्राचीन मंदिर विद्यमान हैं।
Q- कालीमठ मंदिर किस नदी के तट पर स्थित है?
Ans- कालीमठ मंदिर सरस्वती नदी के तट पर स्थित है।