Dhari Devi Temple: धारी देवी मंदिर उत्तराखंड के श्रीनगर, गढ़वाल क्षेत्र में स्थित एक रहस्यमयी मंदिर है, जिसे उत्तराखंड की संरक्षक और पालकी देवी के रूप में माना जाता है। यह मंदिर काली माँ को समर्पित है। मान्यता है कि इस मंदिर में माँ धारी देवी दिन में अपने तीन रूप बदलती है, सुबह कन्या का रूप, दिन में युवती का रूप और शाम को एक बूढी महिला का रूप धारण करती हैं। यह देखकर मंदिर आने वाले श्रद्धालु अचंभित हो जाते हैं। मंदिर, धारी गाँव के नजदीक होने के कारण धारी देवी मंदिर के नाम से प्रसिद्द है। आज के आर्टिकल में धारी देवी मंदिर (Dhari Devi Temple) उत्तराखंड के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
धारी देवी मंदिर-फैक्ट- Dhari Devi Temple Fact
देवी | काली माता (धारी देवी) |
लोकेशन | कल्यासौर श्रीनगर गढ़वाल, पौड़ी |
दर्शन समय | 6:00 am – 12:00 pm 2:00 pm – 7:00 pm |
प्रवेश शुल्क | कोई शुल्क नहीं |
त्यौहार | दीपावली, कार्तिक पूर्णिमा, दशहरा, नवरात्रे |
जाने का सबसे अच्छा समय | सितम्बर से जून |
कैसे पहुंचें | बस, टैक्सी, कार (ऋषिकेश से आगे कोई ट्रेन नहीं) |
नजदीकी रेलवे स्टेशन | ऋषिकेश (119 km) |
नजदीकी एअरपोर्ट | जॉलीग्रांट एअरपोर्ट, देहरादून (136 km) |
धारी देवी मंदिर का इतिहास- Dhari Devi Temple History in Hindi
पौराणिक कथाओं में उल्लेख मिलता है कि एक बार उत्तराखंड में भीषण बाढ़ आने की वजह से एक मंदिर बाढ़ में बह गया, मंदिर में रखी देवी की मूर्ती भी बह गयी, जब यह मूर्ती बह कर धारी गाँव पहुंची तो एक चट्टान पर टकराकर वहीँ रुक गयी। कहा जाता है कि मूर्ती से ईश्वरीय ध्वनि निकली जिसने धारी गाँव के निवासियों से कहा कि मुझे इसी चट्टान पर स्थापित कर दो। गाँव वालों ने ऐसे ही किया। कहा जाता है तब से वहां पर काली माता की पूजा की जाने लगी और बाद में वहां पर मंदिर बनाया गया।
एक अन्य मान्यता के अनुसार धारी देवी अपने साथ भाइयों की इकलौती बहन थी, सारे भाई बचपन से अपने इकलौती बहन से नफरत करते थे, क्योंकि इनको पता लग गया था कि इनकी बहन के ग्रह उनके लिए अच्छे नहीं हैं। लेकिन माँ-बाप के जल्दी गुजर जाने की वजह से धारी देवी अपने भाइयों को ही अपना सब कुछ मानती थी।
कुछ समय बाद माँ धारी देवी के पांच भाइयों की अकस्मात् मृत्यु हो गयी, अब केवल दो शादीशुदा भाई ही बचे रह गए। ये देखकर दोनों भाइयों की अपनी बहन के प्रति नफरत और बढ़ गयी, क्योंकि उन्हें लगता था की उनके पांचो भाइयों की मृत्यु के पीछे उनकी बहन का हाथ है।
जब धारी देवी 13 साल की थी तब दोनों भाइयों ने अपनी पत्नियों के साथ मिलकर अपनी ही बहन को मारने की योजना बनाई और अपनी ही बहन के सर को धढ़ से अलग कर दिया। इसके बाद माता के मृत शरीर को पास में बह रही नदी में बहा दिया। माँ धारी देवी का सिर बहते हुए श्रीनगर स्थित कलियासौर के धारी गाँव तक आ पहुंचा।
सुबह के समय एक स्थानीय व्यक्ति अलकनंदा नदी के तट पर कपड़े धो रहा था, तभी उसकी नजर उस कन्या के बहते हुए सिर पर पड़ी। उस व्यक्ति को लगा की कोई कन्या नदी में बह रही है, उसने उस कन्या को बचाने की सोची लेकिन नदी का बहाव तेज होने की वजह से व्यक्ति डर गया।
उसी समय कन्या के कटे हुए सिर से आवाज आती है, “तुम डरो मत आगे बढ़ो और मुझे यहाँ से निकालो, तुम्हें कुछ नहीं होगा। तुम नदी में जहाँ पर भी पैर रखोगे में वहां सीढ़ी बना दूंगी। उस व्यक्ति ने साहस करके एक कदम बढ़ाया और वहां सच में सीढ़ी बन गयी , व्यक्ति आगे बढ़ता रहा और सीढियां बनती गयीं। जब उस व्यक्ति ने बहती हुई कन्या का सर उठाया तो वो आश्चर्यचकित हो गया, लेकिन उस कन्या ने कहा की तुम डरो मत, मैं देवी रूप में हूँ। तुम मुझे एक पवित्र स्थल पर किसी पत्थर में स्थापित कर दो, उस व्यक्ति ने ऐसा ही किया।
जब उस व्यक्ति ने कन्या के कटे हुए सिर को पत्थर पर स्थापित किया तो कन्या ने अपने बारे में सब कुछ बता दिया कि कैसे उसके अपने भाइयों ने ही अपनी बहन की हत्या की। ये सब बताने के बाद उस कटे हुए सिर ने एक पत्थर का रूप ले लिया और तब से वहां पर उस पत्थर की पूजा होने लगी”। बाद में उसी स्थान पर माँ धारी देवी मंदिर (Dhari Devi Temple) बनाया गया।
माँ धारी देवी के धढ़ वाले हिस्से की पूजा कालीमठ में की जाती है। काली माता के इस मंदिर में किसी मूर्ती की पूजा न होकर एक श्रीयंत्र की पूजा की जाती है। इसी स्थान पर माँ काली ने रक्तबीज नामक राक्षस का वध किया था और स्वयं धरती में समां गयीं थी। यह दुनिया में एकमात्र ऐसा मंदिर है जहाँ काली माता के साथ-साथ उनकी बहनों माता लक्ष्मी और सरस्वती के मंदिर भी विद्यमान हैं।
धारी देवी मंदिर का महत्व- Dhari Devi Temple Mystery
धारी देवी को उत्तराखंड और चारों धामों की संरक्षक देवी माना जाता है। धारी देवी मंदिर (Dhari Devi Temple) रहस्यों से भरा हुआ है, मान्यता है कि मंदिर में माँ धारी देवी, एक दिन में तीन बार अपने रूप बदलती है। सुबह के समय धारी देवी एक कन्या के रूप के दिखाई देती हैं, दिन में एक युवती के रूप में और शाम को एक बूढी महिला का रूप धारण करती हैं। यहाँ आने वाले श्रद्धालु एक ही दिन में धारी देवी के तीन रूपों को देख कर अचंभित हो जाते हैं।
धारी देवी मंदिर, रुद्रप्रयाग से 20 km और श्रीनगर से 16 km की दूरी पर अलकनंदा नदी के बीचों-बीच स्थित है, स्थानीय लोगों की माने तो उत्तराखंड में 2013 की भीषण केदारनाथ आपदा माँ धारी देवी के क्रोधित होने से आई थी।
धारी देवी के क्रोधित होने से आई थी केदारनाथ में भीषण आपदा- Dhari Devi Kedarnath Flood 2013
उत्तराखंड में 16-17 जून 2013 को एक भीषण आपदा आई थी, जो सब कुछ अपने साथ बहा ले गयी। इस समय केदारनाथ यात्रा अपने चरम पर थी लेकिन केवल दो दिनों में ही सब तहस-नहस हो गया। केदारनाथ आपदा 2013 में सैकड़ों लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था। उत्तराखंड के स्थानीय लोगों की मानें तो इस आपदा का कारण माँ धारी देवी का क्रोधित होना था।
कहा जाता है कि जब सरकार के आदेशानुसार 330 मेगावाट विद्युत परियोजना पर कार्य करने के लिए माँ धारी देवी को मूल स्थान से स्थानांतरित किया गया तो माँ धारी देवी अत्यंत क्रोधित हो गयी और माता के क्रोध के चलते केदारनाथ धाम के आस-पास सब कुछ तबाह हो गया। धारी देवी का स्थानांतरण 16 जून 2013 की शाम को किया गया था और कुछ घंटों के बाद ही केदारनाथ में भयंकर प्रलय आ गयी।
स्थानीय लोगों का मानना है कि सन 1882 में एक स्थानीय राजा ने धारी देवी को उनके मूल स्थान से हटाने की कोशिश की थी, उस समय भी केदारनाथ में ऐसी ही आपदा देखने को मिली थी।
केदारनाथ आपदा 2013 में केदारनाथ मंदिर को छोड़कर सब कुछ तहस-नहस हो गया था। इस भयंकर बाढ़ में एक बड़ी शिला केदारनाथ मंदिर के ठीक पीछे आकर रुक गयी, यहाँ से बाढ़ का पानी मंदिर के दोनों ओर दो धाराओं में विभाजित हो गया और मंदिर को कुछ नुकसान नहीं हुआ। बाद में इस शिला को भीम शिला कहा गया और अब केदारनाथ जाने वाले श्रद्धालु इसकी भी पूजा करते हैं।
विभिन्न स्थानों से धारी देवी की दूरी- Dhari Devi Temple Distance Chart
स्थान | दूरी (किलोमीटर) | बस किराया (रुपये) |
---|---|---|
दिल्ली (Delhi To Dhari devi Distance) | 352 km | – |
हरिद्वार (Haridwar To Dhari devi Distance) | 150 km | 300 |
ऋषिकेश (Rishikesh To Dhari devi Distance) | 125 km | 250 |
श्रीनगर (Shrinagar To Dhari devi Distance) | 14 km | 30 |
रुद्रप्रयाग ( Rudraprayag To Dhari devi Distance) | 20 km | 40 |
कार्तिक स्वामी (Kartik Swami To Dhari Devi Distance) | 61 km | – |
मद्महेश्वर (Madmaheshwar To Dhari devi Distance) | 96 km | – |
त्रियुगीनारायण, केदारनाथ (Kedarnath To Dhari devi Distance) | 90 km | – |
बद्रीनाथ (Badrinath To Dhari devi Distance) | 175 km | – |
धारी देवी मंदिर की लोकेशन- Dhari Devi Temple Location
धारी देवी मंदिर उत्तराखंड के पौड़ी जिले में स्थित है। यह मंदिर पौड़ी जिले में श्रीनगर गढ़वाल से लगभग 14 km तथा रुद्रप्रयाग से 20 km की दूरी पर अलकनंदा नदी की बीच में बना हुआ है.
धारी देवी मंदिर दर्शन समय- Dhari Devi Temple Timings
धारी देवी मंदिर में आप दिन के किसी भी समय माँ धारी देवी के दर्शन के लिए जा सकते हैं। मंदिर पूरे दिन माँ के भक्तों के लिए खुला रहता है। यदि आपको विशेष पूजा पाठ करवाना है तो सुबह 6 से 12 बजे और शाम को 2 से 7 बजे तक करवा सकते हैं।
धारी देवी मंदिर का स्थानांतरण- Dhari Devi Temple Shift
अलकनंदा नदी में एक विद्युत परियोजना का संचालन करने के लिए माँ धारी देवी को 16 जून 2013 की शाम को उनके मूल स्थान से हटाया गया था। ऐसा करने के कुछ ही घंटों में केदारनाथ धाम के आस-पास भयंकर प्रलय आई जिस कारण कई लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी थी। माना जाता है यह आपदा माँ धारी देवी को उनके मूल स्थान से हटाने के कारण आई थी।
इस आपदा के बाद फिर से माँ धारी देवी को उनके मूल स्थान पर स्थान्तरित करने के लिए एक नए मंदिर का निर्माण किया गया, नए मंदिर को अलकनंदा नदी के जलस्तर से काफी ऊँचा बनाया गया है ताकि नदी के जल से मंदिर को कोई क्षति न पहुंचे। केदारनाथ आपदा 2013 के 9 साल बीत जाने के बाद 28 जनवरी 2023 को फिर से माँ धारी देवी को उनके मूल स्थान पर स्थापित किया गया।
धारी देवी मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय- Best Time To Visit Dhari Devi Temple
धारी देवी मंदिर सभी श्रद्धालुओं के लिए वर्षभर खुला रहता है, आप किसी भी समय धारी देवी मंदिर जाकर माँ धारी देवी के दर्शन कर सकते हैं। अगर धारी देवी मंदिर जाने के सबसे अच्छे समय की बात करें तो ये अक्टूबर से जून के बीच होगा। इस समय मंदिर का माहौल बहुत शांत रहता है और नदी का स्तर भी काफी कम रहता है। यदि आपको अधिक भीड़ से कोई परेशानी नहीं होती है तो आप दिवाली, दशहरा, कार्तिक पूर्णिमा और नवरात्रे के समय धारी माँ के दर्शन करने आ सकते हैं। इस समय मंदिर का अलग ही माहौल रहता है।
मानसून से समय उत्तराखंड में कहीं भी यात्रा करने की योजना न बनाएं। मानसून से समय यहाँ की सडकों की स्थिति बहुत बुरी हो जाती है और कभी भी भूस्खलन, बादल फटना, बाढ़ आना और पहाड़ टूटना जैसी अनेक घटनाएं हो सकती हैं।
धारी देवी मंदिर कैसे पहुंचें- How To Reach Dhari Devi Temple
धारी देवी मंदिर पहुंचना बहुत ही आसान है यहाँ हम आपको फ्लाइट, ट्रेन और बस के धारी देवी मंदिर कैसे जायें के बारे में विस्तृत जानकारी देने वाले हैं।
फ्लाइट से धारी देवी मंदिर कैसे पहुंचें- How To Reach Dhari Devi Temple By Flight
अगर आप फ्लाइट से उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में आना चाहते हैं और यहाँ घूमना चाहते हैं तो आपको ये जानकर निराशा होगी कि आप केवल देहरादून स्थित जॉलीग्रांट एअरपोर्ट (136 km) तक ही फ्लाइट में आ सकते हैं। यह एअरपोर्ट देश के अधिकांश बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है। जॉलीग्रांट एअरपोर्ट के लिए आपको सभी जगहों से फ्लाइट आसानी से उपलब्ध हो जाती है। यहाँ से आगे का सफ़र आप बस, टैक्सी और कार से कर सकते हैं।
ट्रेन से धारी देवी मंदिर कैसे पहुंचे- How To Reach Dhari Devi Temple By Train)
ट्रेन से यात्रा करना सबसे सही और सस्ता रहता है, अधिकांश लोग ट्रेन से सफ़र करने में सहज महसूस करते हैं। उत्तराखंड में धारी देवी मंदिर (Dhari Devi Temple Shrinagar) पहुँचने के लिए आपको नजदीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश (लगभग 119 km) पहुंचना होता है। यहाँ से आगे ट्रेन नहीं जाती हैं, आगे की यात्रा बस, टैक्सी या कार से ही करनी होती है। ऋषिकेश-हरिद्वार में आपको श्रीनगर के लिए बहुत सारी बसें मिल जाती हैं।
बस से धारी देवी मंदिर कैसे पहुंचे- How To Reach Dhari Devi Temple By Bus
उत्तराखंड आने वाले अधिकांश यात्री बस से ही यात्रा करते हैं, बस में यात्रा करना अन्य यातायात माध्यमों की तुलना में सस्ता और सुलभ होता है। धारी देवी मंदिर (Dhari Devi Temple Shrinagar) के लिए ऋषिकेश या हरिद्वार से बस (Bus) आसानी से मिल जाती हैं। धारी देवी मंदिर पहुँचने के लिए आपको हरिद्वार-ऋषिकेश-तीन धारा-देवप्रयाग-श्रीनगर-धारी देवी मंदिर आदि मुख्य पड़ावों से होकर आना पड़ता है।
धारी देवी मंदिर किस लिए प्रसिद्द है?
धारी देवी को उत्तराखंड और चारो धामों की रक्षक देवी माना जाता है। यह मंदिर अलकनंदा नदी के बीच में स्थित होने की वजह से अधिक आकर्षक हो जाता है, मंदिर तक पहुँचने के लिए नदी के उपर एक पुल बनाया गया है। इस पुल से नदी और इसके आस-पास का दृश्य बहुत ही सुन्दर लगता है।
धारी देवी पुरानी फोटो- Dhari Devi Temple Old Photo
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FAQs
Q- धारी देवी मंदिर कहाँ है?
Ans- धारी देवी मंदिर उत्तराखंड के पौड़ी जिले में श्रीनगर बस स्टेशन से केवल 14 km और रुद्रप्रयाग से 20 km दूरी पर अलकनंदा नदी के बीच में स्थित माँ काली को समर्पित मंदिर है।
Q- धारी देवी मंदिर किस नदी के ऊपर बना है?
Ans- धारी देवी मंदिर अलकनंदा नदी के उपर बना हुआ है।
Q- धारी देवी मंदिर को कब शिप्ट किया गया था?
Ans- अलकनंदा नदी में एक विद्युत परियोजना का संचालन करने के लिए माँ धारी देवी को 16 जून 2013 की शाम को उनके मूल स्थान से हटाया गया था। ऐसा करने के कुछ ही घंटों में केदारनाथ धाम के आस-पास भयंकर प्रलय आई। माना जाता है यह आपदा माँ धारी देवी को उनके मूल स्थान से हटाने के कारण आई थी। बाद में 9 साल बीत जाने के बाद 28 जनवरी 2023 को फिर से माँ धारी देवी को एक नवनिर्मित मंदिर में उनके मूल स्थान पर स्थापित किया गया।
Q- केदारनाथ आपदा 2013 का क्या कारण था?
Ans- केदारनाथ आपदा 2013 का मुख्य कारण केदारनाथ से लगभग 6 km ऊँचाई पर स्थित पर्वत से अचानक बहुत सारी बर्फ पिघलना और चौराबाड़ी झील का टूटना था। हालाँकि, उत्तराखंड के स्थानीय लोगों के अनुसार 2013 की केदारनाथ आपदा का कारण माँ धारी देवी का क्रोधित होना था, अलकनंदा नदी में एक विद्युत परियोजना का संचालन करने के लिए माँ धारी देवी को 16 जून 2013 की शाम को उनके मूल स्थान से हटाया गया था। ऐसा करने के कुछ ही घंटों में केदारनाथ धाम के आस-पास भयंकर प्रलय आई।